बिलकिस बानो गैंगरेप के 11 दोषी पुलिस के संपर्क में नहीं है। गुजरात के दाहोद SP बलराम मीणा ने दावा किया है कि पुलिस के पास दोषियों के सरेंडर करने की जानकारी नहीं है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की कॉपी भी अब तक नहीं मिली है, जिसमें दोषियों को दो हफ्ते में सरेंडर करने को कहा गया है।
दाहोद SP ने बताया कि सभी दोषी गुजरात के सिंगवाड के रहने वाले हैं। उनमें से कुछ अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए आते रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद रणधीकपुर में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस बल तैनात किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस गैंगरेप के 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने कहा था- गुजरात सरकार दोषियों को कैसे माफ कर सकती है। सुनवाई महाराष्ट्र में हुई है तो रिहाई पर फैसला भी वहीं की सरकार करेगी। कोर्ट ने दोषियों को 2 हफ्ते में सरेंडर करने को कहा है।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने फैसला सुनाते वक्त कहा- सजा अपराध रोकने के लिए दी जाती है। पीड़ित की तकलीफ की भी चिंता करनी होगी। गुजरात सरकार को रिहाई का फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है। उसने अपनी सत्ता और ताकत का दुरुपयोग किया है।
इस कमेंट के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 में जस्टिस अजय रस्तोगी (रिटायर्ड) के उस फैसले को भी रद्द कर दिया था, जिसमें 11 दोषियों को गुजरात सरकार से शीघ्र माफी के लिए अपील करने की अनुमति दी गई थी। गुजरात सरकार ने इन्हें 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया था।