पिछले दिनों झांसी की रानी की जयंती पर इम्फाल के एक पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम ने एक वीडियो अपलोड किया। इसमें भाजपा के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार की खूब आलोचना की गई। मुख्यमंत्री के खिलाफ भी कथित तौर पर अपमानजनक शब्द कहे गए तो राष्ट्रीय सुरक्षा एक्ट (NSA) के तहत पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया गया।
इंडियन एक्सप्रेस को मिले आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक 27 नवंबर को CJM कोर्ट द्वारा वांगखेम को जमानत देने के 24 घंटे के भीतर फिर गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया। जबकि पत्रकार को जमानत देते वक्त कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि यह ‘भारत के प्रधानमंत्री और मणिपुर के मुख्यमंत्री के खिलाफ राय की अभिव्यक्ति’ थी और इसे राजद्रोह के रूप में वर्णित नहीं किया जा सकता।
दरअसल 19 नवंबर (झांसी की रानी, जंयती) को पत्रकार ने इंग्लिश और मेइती भाषा में कई वीडियो रिलीज किए। इसमें वांगखेम ने कहा, ‘मैं दुखी और हैरान हूं कि मणिपुर की वर्तमान सरकार झांसी की रानी की जयंती मना रही है। मुख्यमंत्री का दावा है कि भाजपा सरकार जयंती इसलिए मना रही है क्योंकि भारत के एकीकरण में उनका रोल (झांसी की रानी) था। स्वतंत्रता संग्राम में भी उनका रोल था। मगर…मणिपुर के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया। आप ऐसा सिर्फ इसलिए कर रहे हो क्योंकि केंद्र सरकार ने आपसे ऐसा करने को कहा है।’
वीडियो में राज्य के मुख्यमंत्री को केंद्र की कठपुतली बताते हुए पत्रकार ने कहा, ‘धोखा मत करो। मणिपुर के फ्रीडम फाइटरों का अपमान मत करो। मणिपुर के वर्तमान स्वतंत्रता सेनानी का अपमान मत करो। मणिपुर के लोगों का अपमान मत करो। इसलिए मैं तुमसे (सीएम) फिर कहता हूं आओ और दोबारा मुझे गिरफ्तार कर लो। मगर आपको अभी भी कहूंगा… आप हिंदुत्व की कठपुतली हो।’ पत्रकार ने इसके अलावा सीएम के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया।
मामले में पत्रकार की पत्नी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया उनके पति को पहली बार 20 नवंबर को गिरफ्तार किया गया। हालांकि 26 नवंबर को 70,000 के बॉन्ड पर जमानत दे दी गई। पत्नी के मुताबिक, ‘अगले दिन किशोरचंद्र वांगखेम को पुलिस स्टेशन बुलाया गया। पांच या छह पुलिसकर्मी सादा लिबास में हमारे घर आए और उन्हें उठाकर ले गए। गुरुवार को हमें पता चला कि उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया।’ पत्रकार की पत्नी रंजीता ने यह बात बीते शुक्रवार को तब कही जब वो पति की रिहाई की मांग के लिए इम्फाल में प्रदर्शन कर रही थीं।
दूसरी तरफ वांगखेम को जमानत देते हुए सीजीएम वेस्ट इम्फाल ने कहा था कि वीडियो में जो बाते कहीं गईं उससे ऐसा नहीं लगता कि दो विभिन्न समूहों के बीच, समुदाय या सेक्शन के बीच शत्रुता होगी। ना ही वीडियो से यह मालूम होता है कि इसमें भारत सरकार या राज्य सरकार की अवमानना, तिरस्कार या अंसतोष जताया गया हो। कोर्ट ने कहा, ‘यह सिर्फ राय की अभिव्यक्ति है, जिसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के खिलाफ कहा गया। इसमें भारत सरकार या मणिपुर के खिलाफ लोगों को हिंसा करने के लिए नहीं कहा गया।’ कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्रकार के भाषण को राजद्रोह की श्रेणी में नहीं माना जा सकता।
हालांकि 27 नवंबर को वेस्ट इम्फाल के जिला न्यायधीश ने एक नया ऑर्डर जारी किया, इसमें कहा गया कि आगे के आदेश तक पत्रकार को एनएसए, 1980 के सेक्शन 3(2) के तहत हिरासत में लिया जाना चाहिए।
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