New Delhi/Atulya Loktantra : भारत में वायु प्रदूषण तंबाकू सेवन से ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है. पिछले साल तंबाकू के इस्तेमाल के मुकाबले वायु प्रदूषण से लोग अधिक बीमार हुए और इसके चलते भारत में हर आठ में से एक व्यक्ति ने अपनी जान गंवाई. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की नई स्टडी में यह खुलासा हुआ है. इस अध्ययन में यह भी कहा गया कि हवा के अत्यंत सूक्ष्म कणों-पीएम 2.5 के सबसे ज्यादा संपर्क में दिल्लीवासी आते हैं.
उसके बाद उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा का नंबर आता है. इसमें कहा गया कि 2017 में करीब 12.4 लाख मौतों के पीछे वायु प्रदूषण वजह थी. साथ ही, इसमें वायु प्रदूषण को देश में होने वाली मौतों के पीछे की वजहों में से सबसे बड़ा बताया गया है. अगर प्रदूषण का स्तर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले स्तर से नीचे होता तो औसत जीवन प्रत्याशा 1.7 गुना ज्यादा होती. अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर में वायु प्रदूषण के कारण 18 फीसदी लोगों ने समय से पहले या तो अपनी जान गंवा थी अथवा बीमार पड़ गए.
इसमें भारत का आंकड़ा 26 फीसदी था. पिछले साल वायु प्रदूषण के कारण जिन 12.4 लाख लोगों की मौत हुई थी उनमें आधे से अधिक की उम्र 70 से कम थी. इसमें कहा गया कि भारत की 77 प्रतिशत आबादी घर के बाहर के वायु प्रदूषण के उस स्तर के संपर्क में आई जो नेशनल एंबियंट एअर क्वालिटी स्टैंडर्ड्स (एनएएक्यूएस) की सुरक्षित सीमा से ऊपर था. अध्ययन में पाया गया कि घर के बाहर के प्रदूषण का स्तर खास कर उत्तर भारत के राज्यों में अधिक था. यह अध्ययन लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.
वायु प्रदूषण अब केवल श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि फेफड़ों की बीमारियां, न्यूमोनिया और फेफड़ों के कैंसर के लिए भी बड़ा रिस्क फैक्टर बनता जा रहा है. स्टडी के अनुसार, लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन तंबाकू से ज्यादा वायु प्रदूषण से हो रहा है. जबकि, प्रति एक लाख लोगों में 49 लोगों को फेफड़ों के कैंसर की वजह वायु प्रदूषण है, तो 62 लोगों में इसकी वजह तंबाकू है.
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