मणिपुर सुरक्षा अधिकारियों ने बताया है कि राज्य में 8 से 13 मई के बीच करीब 13 लोगों को किडनैप किया गया है। इनमें 4 पुलिसकर्मी और एक CRPF का जवान भी शामिल है। बाकी स्थानीय लोग हैं।
सुरक्षा अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि अगवा किए गए लोगों की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है, क्योंकि ज्यादातर परिवार गायब हुए लोगों की पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराते हैं।
मणिपुर पुलिस ने किडनैपिंग की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए 10 लोगों को अरेस्ट किया है। इसमें मैतेई मिलिशिया ग्रुप अरामबाई तेंगगोल के दो मेंबर भी हैं। जिन पर पूर्वी इंफाल के कांगपोकपी जिले से चार पुलिसकर्मियों को अगवा करने के आरोप हैं।
कुकी पुलिसकर्मी के घर सामान इकट्ठा करने गए थे पुलिस कर्मी
एक सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक अगवा किए गए चारों पुलिसकर्मी न तो मैतेई थे न ही कुकी। ये चारों लोग कुकी साथी पुलिसकर्मी के घर से कुछ सामान इकट्ठा करने गए थे।
सुरक्षा अधिकारी ने बताया इस घर को कुकी पुलिसकर्मी पिछले साल दंगों के दौरान छोड़कर भाग गया था। अरामबाई तेंगगोल के सदस्यों ने पुलिसकर्मियों के आने की सूचना मिलते ही उन्हें अगवा कर लिया। जिसके बाद इन्हें टॉर्चर किया गया और उनकी तस्वीरें लेकर वाट्सएप ग्रुप में वायरल की गईं।
पैसों की तंगी के चलते तेजी से बढ़ रही हैं अपहरण की घटनाएं
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में राज्य में अपहरण और जबरन वसूली के मामले तेजी से बढ़े हैं। जिसके पीछे बेरोजगारी, कट्टरपंथी ग्रुप के लिए हथियार खरीदने या ऑपरेशन चलाने के लिए पैसों की जरूरत जैसी वजह शामिल हैं।
सीनियर सिक्योरिटी ऑफिसर ने बताया कि बीते एक साल में कुकी और मैतेई दोनों तरफ के संगठनों को लोगों से सुरक्षा देने के नाम पर पैसा मिलता रहा। जिससे वे हथियार, ड्रोन जैसी चीजें खरीदते थे। लेकिन जैसे जैसे राज्य में शांति लौटी है लोगों ने पैसे देना बंद कर दिया। यही कारण है जबरन वसूली और अपहरण जैसी घटनाएं बढ़ीं हैं।
कुकी-मैतेई पुलिसकर्मियों में भी दिख रही है दूरी
एक रिपोर्ट बताती है कि मणिपुर हिंसा के बाद से न सिर्फ आम लोगों में बल्कि पुलिसकर्मियों में भी मैतेई और कुकी के आधार पर बंटवारा देखा जा रहा है। कांगपोकपी जिला जो कुकी बहुल इलाका है वहां मैतेई पुलिसकर्मी काम नहीं करते हैं। ऐसे ही कुकी पुलिसकर्मी मैतेई इलाकों में जाने से बचते हैं।
मणिपुर में 3 मई 2023 से शुरू हुई जातीय हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। हजारों लोग विस्थापन झेल रहे हैं। मणिपुर जातीय आधार पर हिंसा का आखिरी मामला पिछले महीने 28 अप्रैल को सामने आया था।