हरियाणा में बहुमत में आई BJP के सरकार बनाने से पहले ही सियासी खेल शुरू हो गया है। यहां चुनाव जीते तीनों निर्दलीय विधायकों ने समर्थन दे दिया है। पहले गन्नौर से देवेंद्र कादियान और बहादुरगढ़ से राजेश जून और फिर हिसार से सावित्री जिंदल इसके लिए दिल्ली पहुंची। जहां उनकी हरियाणा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, सहप्रभारी बिप्लब देब और प्रदेश अध्यक्ष मोहन बड़ौली से मुलाकात हुई।
इनके समर्थन के बाद अब प्रदेश में भाजपा के पास सरकार के लिए विधायकों की संख्या 51 हो जाएगी। भाजपा ने 48 सीटों पर चुनाव जीता है। कादियान और सावित्री जिंदल ने टिकट न मिलने पर BJP से बगावत की थी। वहीं राजेश जून ने कांग्रेस से टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ा था।
सावित्री जिंदल देश की सबसे अमीर महिला हैं। उनके बेटे नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र से BJP के सांसद हैं। हालांकि चुनाव प्रचार से दूरी रखने के बाद मां की जीत पर वह विजयी जुलूस में साथ नजर आए थे।
कादियान ने पहले ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) को समर्थन देने का ऐलान किया है। इसे लेकर उन्होंने बुधवार को गन्नौर में अपने समर्थकों से मीटिंग की। इसके बाद उन्होंने कहा कि अधिकतर समर्थकों ने सरकार के साथ जाने की बात कही।
सावित्री हिसार से BJP ने टिकट नहीं दी, निर्दलीय चुनाव लड़ा
सावित्री जिंदल हाल ही में देश की सबसे अमीर महिला घोषित की गईं थी। वह अपना आखिरी चुनाव बताकर हिसार से BJP की टिकट पर दावेदारी जता रहीं थी। हालांकि भाजपा से लगातार 2 बार के विधायक डॉ. कमल गुप्ता टिकट लेने में कामयाब रहे। इसके बाद सावित्री जिंदल पहले कांग्रेस में जाने वाली थी। ऐन मौके पर भाजपा को इसकी भनक लग गई। उन्होंने पार्टी के कुरुक्षेत्र से सांसद और सावित्री जिंदल के बेटे नवीन जिंदल को फोन कर इसे रुकवाया। इसके बाद सावित्री ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत गईं।
जून ने पहले भी निर्दलीय चुनाव लड़ा, दूसरी बार नामांकन वापस लिया
हरियाणा की बहादुरगढ़ सीट पर राजेश जून ने निर्दलीय चुनाव जीता है। झज्जर जिले की बहादुरगढ़ सीट से राजेश जून कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे थे, लेकिन उनको टिकट नहीं मिला तो वह निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे। कांग्रेस ने उनकी जगह राजिंद्र जून को बहादुरगढ़ से टिकट दिया जो 2019 में भी इस सीट पर जीते थे।
राजेश जून ने 2014 के विधानसभा चुनावों में बहादुरगढ़ विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने राजेंद्र जून के पक्ष में अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया था।