आंध्र प्रदेश के CM चंद्रबाबू नायडू ने स्टेट वक्फ बोर्ड को भंग करने की घोषणा की है। इसका गठन पिछली जगन मोहन की सरकार ने किया था। 30 नवंबर जारी आदेश में मौजूदा सरकार ने पिछली सरकार के दौरान अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के जारी आदेश को रद्द कर दिया।
आदेश में कहा गया कि, ‘आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के चुनाव पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। उसी समय राज्य वक्फ बोर्ड के गठन के 2023 के सरकारी आदेश की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले पेंडिंग केस के कारण एक प्रशासनिक शून्यता पैदा हो गई थी। अब राज्य में नए सिरे से वक्फ बोर्ड क गठन किया जाएगा।’
कानून मंत्री बोले- वक्फ प्रोपर्टी की सेफ्टी को बढ़ावा देना मोटिव
आंध्र प्रदेश के कानून एवं न्याय, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री एन मोहम्मद फारूक ने कहा- नए आदेश जीओ-75 का उद्देश्य वक्फ बोर्ड में शासन संबंधी शून्यता को दूर करना है। सरकार के नए निर्देश के तहत वक्फ प्रोपर्टी की सेफ्टी और अल्पसंख्यक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है।
जगन सरकार ने 2023 में किया था वक्फ बोर्ड का गठन
जगन सरकार में 21 अक्टूबर 2023 को वक्फ बोर्ड का गठन हुआ था। शेख खाजा (मुतवल्ली), विधायक हफीज खान और MLC रूहुल्लाह को वक्फ बोर्ड का सदस्य बनाया गया था। 8 अन्य को वक्फ बोर्ड का मेंबर नॉमिनेट किया गया था। हालांकि, शेख खाजा के चुनाव और वक्फ बोर्ड के गठन के लिए जारी किए गए गर्वमेंट ऑर्डर (GO) 47 की वैधता को कई रिट याचिकाओं में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
GO को चुनौती देने वाली और नॉमिनेट मेंबर्स में एक के खिलाफ विशेष विवाद उठाने वाली याचिकाओं पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने अध्यक्ष के चुनाव पर रोक लगा दी थी। अदालत ने ये भी स्पष्ट किया है कि सदस्य का चुनाव रिट याचिकाओं के अंतिम फैसले आने पर तय होगा। जब तक याचिकाएं पेंडिंग रहेंगी, वक्फ बोर्ड बिना अध्यक्ष के रहेगा।
आंध्र सरकार के फैसले पर किसने क्या कहा…
आंध्र प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष विष्णु वर्धन: आंध्रप्रदेश सरकार ने भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में ऐसी संस्थाओं के लिए संवैधानिक प्रावधानों की कमी का हवाला देते हुए वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया है। आंध्र प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का नेतृत्व एनडीए सरकार के मंत्री एन.एम.डी. फारूक कर रहे हैं, जो सुनिश्चित करते हैं कि अल्पसंख्यक कल्याण प्राथमिकता बनी रहे।
बीजेपी आईटी सेल चीफ अमित मालवीय: आंध्र प्रदेश सरकार ने वक्फ बोर्ड को खत्म कर दिया है। संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो धर्मनिरपेक्ष भारत में इसके अस्तित्व का समर्थन करता हो।