असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में 300 फीट गहरी कोयला खदान में सोमवार को अचानक पानी भर गया था, जिससे 9 मजदूर अंदर फंस गए। मजदूरों के फंसने की सूचना 34 घंटे पहले सोमवार सुबह करीब 7 बजे मिली थी। अब इन मजदूरों के रेस्क्यू में सेना को लगाया गया है।
NDRF और SDRF की टीम भी मदद कर रही है। असम के माइनिंग मिनिस्टर कौशिक राय घटनास्थल पर मौजूद हैं। भारतीय सेना और असम राइफल्स के गोताखोर और मेडिकल टीम के साथ इंजीनियर्स टास्क फोर्स रेस्क्यू में शामिल हो गई है।
कुछ रिपोर्ट्स में 3 मजदूरों के शव दिखने की बात कही गई। लेकिन जब भास्कर ने एसपी मयंक कुमार झा से बात की तो उन्होंने कहा कि कोई शव नहीं दिखाई दिया है। पुलिस ने खदान के मालिक पुनीश नुनिसा को गिरफ्तार कर लिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये रैट माइनर्स की खदान है। इसमें 100 फीट तक पानी भर गया है, जिसे दो मोटर की मदद से निकाला जा रहा है।
प्रत्यक्षदर्शी बोले- अचानक पानी आया, निकलने का मौका नहीं मिला
दीमा हसाओ जिले के एसपी मयंक झा ने बताया कि खदान में कई मजदूरों के फंसे होने की आशंका है। प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के मुताबिक अचानक पानी आया, जिसके कारण मजदूर खदान से बाहर नहीं निकल पाए। इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम, लोकल अधिकारियों और माइनिंग एक्सपर्ट की टीमों के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। खदान में फंसे मजदूरों का पता लगाया जा रहा है।
उमरंगसो कोयला खदान में फंसे मजदूरों के नाम
गंगा बहादुर श्रेठ, रामपुर (दुम्मना-2 भिजपुर), पीएस थोक्सिला, जिला: उदयपुर, नेपाल
हुसैन अली, बागरीबारी, थाना श्यामपुर, जिला: दर्रांग, असम
जाकिर हुसैन, 4 नंबर सियालमारी खुटी, थाना दलगांव, जिला: दर्रांग, असम
सर्पा बर्मन, खलिसनिमारी, थाना गोसाईगांव, जिला: कोकराझार, असम
मुस्तफा शेख, बागरीबारी, पीएस दलगांव, जिला: दर्रांग, असम
खुसी मोहन राय, माजेरगांव, थाना फकीरग्राम, जिला: कोकराझार, असम
संजीत सरकार, रायचेंगा, जिला: जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल
लिजान मगर, असम कोयला खदान, पीएस उमरांगसो, जिला: दिमा हसाओ, असम
सरत गोयारी, थिलापारा, बताशीपुर, डाकघर पनबारी, जिला: सोनितपुर, असम
2018 में भी मारे गए थे 15 रैट होल माइनर्स
ऐसा ही एक हादसा मेघालय की ईस्ट जयंतिया हिल्स में 2018 में हुआ था। जहां 15 मजदूर कोयला खदान में फंसकर मारे गए थे। 13 दिसंबर को इस खदान में 20 खनिक 370 फीट गहरी खदान में घुसे थे, जिसमें से 5 मजदूर पानी भरने से पहले बाहर निकल आए थे। 15 मजदूरों को बचाया नहीं जा सका था।