बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हो रहे हमले के विरोध में भारत में विरोध जताया जा रहा है। शनिवार को यूपी, एमपी सहित दूसरे राज्यों में भी विरोध रैली निकाली गई हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल के कोलकाता और त्रिपुरा के अगरतला के दो अस्पतालों ने बांग्लादेशी मरीजों का इलाज करने से इनकार कर दिया।
कोलकाता के जेएन रे अस्पताल के सुभ्रांशु भक्त ने कहा- अब बांग्लादेशी मरीजों का इलाज नहीं करेंगे। क्योंकि बांग्लादेश में तिरंगे का अपमान हो रहा है। भारत ने उनकी आजादी में अहम भूमिका निभाई, इसके बावजूद हम भारत विरोधी भावनाएं देख रहे हैं।
त्रिपुरा में अगरतला में ILS अस्पताल के सामने कुछ लोगों ने बांग्लादेश के विरोध में प्रदर्शन किया। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने बांग्लादेशी मरीजों का इलाज नहीं करने का फैसला किया।
वहीं, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर जारी हमलों को तत्काल रोकने की मांग की। उन्होंने बांग्लादेश सरकार से मांग की है कि इस्कॉन के पूर्व प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को रिहा किया जाए।
दरअसल, 25 अक्टूबर को बांग्लादेश के ढाका में इस्कॉन के पूर्व प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 26 नवंबर को उनकी चटगांव कोर्ट में पेशी थी। चिन्मय के समर्थन में कोर्ट परिसर में हंगामा हुआ। इसी दौरान एक वकील की मौत हो गई। इसके बाद से हिंसा जारी है।
बांग्लादेश की वर्तमान सरकार और एजेंसियां मूकदर्शक बनी हुईं
दत्तात्रेय ने बयान में कहा- बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हमले, हत्या, महिलाओं पर अत्याचार बहुत चिंताजनक है। संघ इसकी निंदा करता है। बांग्लादेश की वर्तमान सरकार और एजेंसियां मूकदर्शक बनी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के हिंदुओं के खुद की रक्षा के लिए लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाई। अब उसे भी दबाया जा रहा है। उनके खिलाफ अत्याचार-अन्याय का नया दौर शुरू हो गया है।’
एक दिन पहले, 29 नवंबर को भारत के विदेश मंत्रालय ने हिंदुओं पर हमले पर आपत्ति जताई थी। कहा, ‘अंतरिम सरकार को हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। वहां की सरकार ये कहकर जिम्मेदारी से नहीं भाग सकती है कि इस मामले को मीडिया बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर कर ही है।
साथ ही विदेश मंत्रालय ने चिन्मय प्रभु का निष्पक्ष न्यायिक प्रक्रिया के तहत ट्रायल करने की भी मांग की थी। चिन्मय प्रभु को राष्ट्रद्रोह के केस में 25 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था।