कोलकाता रेप-मर्डर केस में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को शुक्रवार को जमानत मिल गई। सबूतों से छेड़छाड़ मामले में CBI 90 दिनों के तय पीरियड के बाद भी चार्जशीट फाइल नहीं कर पाई थी। इस वजह से सियालदह कोर्ट ने घोष को बेल दी है।
कोर्ट ने ताला थाने के पूर्व इंचार्ज अभिजीत मंडल की जमानत भी इसी आधार पर मंजूर की है। मंडल पर केस की FIR दर्ज करने में देर करने का आरोप है।
संदीप घोष अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। उन्हें मेडिकल कॉलेज में फाइनेंशियल फ्रॉड केस में घोष जमानत नहीं मिली है। 29 नवंबर को कोर्ट ने फाइनेंशियल फ्रॉड मामले में CBI की चार्जशीट नामंजूर कर दी थी। CBI के पास राजकीय कर्मचारी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए राज्य सरकार से जरूरी मंजूरी नहीं थी।
रेप-मर्डर के अगले दिन घोष ने रेनोवेशन ऑर्डर दिया
CBI जांच में सामने आया है कि ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के अगले दिन (10 अगस्त, 2024) ही संदीप घोष ने सेमिनार हॉल से लगे कमरों के रेनोवेशन का ऑर्डर दिया था। ट्रेनी डॉक्टर का शव 9 अगस्त की सुबह मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में मिला था।
CBI को ऐसे डॉक्यूमेंट मिले, जिनसे पुष्टि होती है कि घोष ने 10 अगस्त को लेटर लिखकर स्टेट पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) को सेमिनार हॉल से लगे कैमरे और टॉयलेट का रेनोवेशन करने को कहा था। इस परमिशन लेटर पर घोष के साइन भी हैं।
PWD स्टाफ ने सेमिनार हॉल से लगे कमरे का रेनोवेशन शुरू कर दिया था। हालांकि, कॉलेज स्टूडेंट्स ने इसको लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था, जिसके चलते रेनोवेशन का काम रोक दिया गया।
जांच अधिकारियों का कहना है कि रेनोवेशन लेटर से यह साफ हो रहा है कि घोष को यह काम कराने की जल्दी थी, लिहाजा यह डॉक्यूमेंट रेप-मर्डर केस और आरजी कर कॉलेज में वित्तीय गड़बड़ी के केस के बीच कड़ी जोड़ने में मदद कर सकता है।