सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने शुक्रवार (16 अगस्त) को दुख जताते हुए कहा कि देश की पूरी संपत्ति चंद लोगों के हाथों में है। बहुत से ऐसे लोग हैं जो दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पाते। हमें आर्थिक रूप से इस भेदभाव को दूर करना होगा।
जस्टिस गवई ने डॉ भीमराव अंबेडकर के 1949 में दिए गए एक कोट का जिक्र करते हुए कहा- राजनीतिक क्षेत्र में वोटिंग का समान अधिकार हमें अन्य क्षेत्रों में असमानता के प्रति अंधा नहीं बना सकता।
जस्टिस गवई केरल हाईकोर्ट के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में कमी को कैसे दूर किया जाए, इस पर चर्चा की।
गवई बोले- एक व्यक्ति-एक वोट अधिकार मिला, आर्थिक समानता का क्या
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने कहा, डॉ अंबेडकर चाहते थे कि राजनीति में एक व्यक्ति, एक वोट का प्रावधान हो। यह करके उन्होंने समानता का अधिकार तो दिया, लेकिन आर्थिक और सामाजिक न्याय असमानता के बारे में क्या? हमारे पास एक ऐसा समाज है जो कई कैटेगरी में बंटा हुआ है। लोग एक से निकलकर दूसरे में नहीं जा सकते।
इसलिए, उन्होंने (डॉ. अंबेडकर ने) हमें चेतावनी दी कि हमें इन असमानताओं को मिटाने के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो लोकतंत्र की वह इमारत ढह जाएगी जिसे हमने इतनी मेहनत से बनाया है।
जस्टिस गवई बोले- कोर्ट, जज और वकील आम नागरिकों के लिए हैं
जस्टिस गवई ने आगे कोर्ट में टेक्नोलॉजी के बढ़ते उपयोग पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा- टेक्नोलॉजी ने लाखों भारतीय नागरिकों को राहत प्रदान की है। 2020 के बाद हमने देखा है कि पूरे देश में टेक्नोलॉजी में काफी प्रगति हुई है।
हम AI का भी उपयोग कर रहे हैं। कोर्ट के फैसलों को विभिन्न स्थानीय भाषाओं में ट्रांसलेट किया जाता है। यह सिस्टम जजों या वकीलों के लिए नहीं है, यह आम लोगों के लिए है। हम सभी अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति यानी भारत के आम नागरिक के लिए काम करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने हाईकोर्ट के जजों के कोर्ट रूम में लेट आने को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि कोर्ट का समय सुबह साढ़े 10 बजे से शुरू होता है, लेकिन कुछ जज सुबह 11:30 बजे बैठते हैं और 12:30 बजे उठ जाते हैं, जबकि कोर्ट का समय 1:30 बजे तक होता है।
CJI डीवी चंद्रचूड़ ने कोलकाता में 29 जून को कहा कि अदालतों को न्याय का मंदिर कहते हैं तो मैं चुप हो जाता हूं; क्योंकि इसका मतलब होगा कि न्यायाधीश देवता हैं, जो वे नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि जज संविधान के स्वामी नहीं हैं, वे सेवक हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने कहा, ”ध्यान रखा जाए कि ज्यूडिशियरी राजनीति से प्रभावित नहीं हो।”