बंगाल की खाड़ी से उठा फेंगल तूफान आज चक्रवात में बदल गया है। अगले दो दिन यह तमिलनाडु की तरफ बढ़ेगा। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, इस दौरान 75-80 Kmph की स्पीड से हवाएं चलेंगी।
चेन्नई, चेंगलपेट, कांचीपुरम, तिरुवल्लुर, कुड्डालोर, नागापटि्टनम में लगातार बारिश जारी है। इन 6 जिलों में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। चेन्नई में मंगलवार को 7 फ्लाइट्स लेट हो गईं।
तूफान के असर को लेकर तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन ने हाई-लेवल बैठक की। NDRF की 7 टीमों को तिरुवरुर, मयिलादुथुरई, नागापटि्टनम और कुड्डालोर जिले में तैनात किया गया है।
तूफान का 4 राज्यों में ज्यादा असर…
तमिलनाडु और पुडुचेरी: 7 नवंबर को तमिलनाडु और पुडुचेरी में कुछ स्थानों पर बहुत भारी बारिश और कुछ स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा होने की संभावना है, 28 और 29 नवंबर को भी तटीय इलाकों में तेज बारिश का अलर्ट है।
आंध्र प्रदेश: 27 नवंबर को कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश और कुछ स्थानों पर भारी बारिश की संभावना है। 28 और 29 नवंबर को तेज बारिश का अलर्ट है।
केरल: 27 और 28 नवंबर को कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश और कुछ स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है।
तूफान से निपटने की क्या है तैयारी…
जिन जिलों के तूफान से प्रभावित होने की आशंका है उनके कलेक्टर्स ने मुख्यमंत्री को बताया कि पर्याप्त संख्या में रिलीफ कैंप और मेडिकल टीम को स्टैंडबाय पर रखा गया है और सभी जरूरी इंतजाम कर लिए गए हैं।
स्टालिन ने सभी अधिकारियों को आदेश दिया है कि रिलीफ सेंटर्स में सभी जरूरी चीजों को उपलब्ध कराया जाए और तूफान आने के पहले ही निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर लाया जाए।
मछुआरों को सलाह दी गई है कि वे 29 नवंबर तक दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी, श्रीलंका और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में न जाएं।
27 से 29 नवंबर तक पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी और दक्षिण आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में भी मछली पकड़ने से बचें। समुद्र में मौजूद मछुआरों को तुरंत किनारे पर लौटने की सलाह दी गई है।
सऊदी अरब ने दिया तूफान को ‘फेंगल’ नाम
इस तूफान का नाम ‘फेंगल’ सऊदी अरब की तरफ से प्रस्तावित किया गया है। यह एक अरबी शब्द है, जो भाषाई परंपरा और सांस्कृतिक पहचान का मिश्रण है। यह शब्द वर्ल्ड मीटियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP) के नामकरण पैनल में क्षेत्रीय विविधता को दर्शाता है।
चक्रवातों के नामों का चयन करते समय यह सुनिश्चित किया जाता है कि नामों का उच्चारण आसान हो, वे याद रखने में सरल हों, और सांस्कृतिक रूप से निष्पक्ष हों। यह ध्यान रखा जाता है कि नाम ऐसे हों जिनसे अलग-अलग क्षेत्रों और भाषाओं के बीच कोई विवाद पैदा न हो या किसी का अपमान न हो।