संदेशखाली केस को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मंगलवार को बंगाल सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा- शुरुआती तौर पर ये साफ है कि टीएमसी नेता शाहजहां ने लोगों को नुकसान पहुंचाया। जिस शाहजहां पर रेप और जमीन हड़पने के आरोप हैं, ऐसा लगता है कि वो पुलिस की पहुंच से बाहर है।
कोलकाता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस सिवागननम और जस्टिस हिरन्मय भट्टाचार्य की बेंच ने कहा- यह चौंकाने वाला है कि समस्या की जड़ में मौजूद एक आदमी अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है। अगर उसके खिलाफ हजारों झूठे आरोप हैं, लेकिन इनमें अगर एक भी आरोप सही है तो आपको उसकी जांच करनी चाहिए। आप बेवजह लोगों को परेशान कर रहे हैं।
कोर्ट की इजाजत के बाद शुभेंदु अधिकारी संदेशखाली पहुंचे
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेश के बाद भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी मंगलवार को संदेशखाली पहुंचे। डिवीजन बेंच ने उन्हें जाने की इजाजत देते हुए शर्त रखी कि शुभेंदु के साथ सिर्फ उनकी सिक्योरिटी के लोग ही हिंसा प्रभावित इलाके में जाएंगे। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सोमवार को उन्हें संदेशखाली जाने की इजाजत दी थी। इसके खिलाफ बंगाल सरकार डिवीजन बेंच गई थी।
डिवीजन बेंच में बंगाल सरकार की दलील और कोर्ट के जवाब
बंगाल सरकार: अटॉर्नी जनरल किशोर दत्ता ने डिवीजन बेंच के सामने कहा- सुवेंदु अधिकारी संदेशखाली जा रहे हैं। अब वहां हालात नॉर्मल हो रहे हैं, अब वहां जाकर अशांति फैलाने की क्या जरूरत है?
शुभेंदु के वकील: हम वहां कोई मीटिंग नहीं करेंगे, सिर्फ पीड़ितों से मुलाकात करेंगे।
डिवीजन बेंच: आप वहां जा सकते हैं, लेकिन आपके सपोर्टर्स का क्या होगा? आप चुने हुए विधायक हैं। आप पूरे राज्य में घूम सकते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे हो सकते हैं, जो धारा 144 वाले इलाके में आपके साथ जा सकते हैं।
बंगाल सरकार: हम सिंगल बेंच के ऑर्डर को चैलेंज करते हैं।
डिवीजन बेंच: शुभेंदु अधिकारी को शर्तों के साथ संदेशखाली भेजा जा रहा है। अगर आप ऐसा होने देते हैं तो ये कुछ ही घंटों की बात होगी। अगर आप विरोध करते हैं तो ये मामला और ज्यादा परेशान करेगा।
बंगाल सरकार: संदेशखाली जा रहे स्थानीय लोगों और संवैधानिक संस्थाओं से हमें कोई परेशानी नहीं है। हमारी परेशानी वहां जा रहे नेताओं से है।
डिवीजन बेंच: उस इलाके की महिलाओं ने आरोप लगाए हैं और जमीन हड़पने की बात सामने आई है। ये आदमी शेख शहाजहां फरार नहीं चल सकता है। राज्य सरकार उसका सपोर्ट नहीं कर सकती है।
बंगाल सरकार: राज्य की पुलिस उसे ले आएगी।
डिवीजन बेंच: एक आदमी की वजह से ये पूरा मामला हो रहा है, सरकार उसका समर्थन नहीं कर सकती है। वह केवल एक जनप्रतिनिधि है। लोगों का कल्याण उसकी जिम्मेदारी है। इस बात के सबूत हैं कि फरार नेता ने लोगों को परेशान किया है। कथित अपराध करने के बाद वो फरार हो गया है।
बेंच ने कहा कि हम नहीं जानते कि क्या सरकार उसे सुरक्षा दे रही है, क्योंकि उसे अब तक पकड़ा नहीं जा सका है। इसका ये मतलब हो सकता है कि वह राज्य की पुलिस की पहुंच से बाहर है। अगर ऐसा है तो धारा 144 लगाने का कोई फायदा नहीं है।
बेंच ने कहा- कोविड की तरह लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं, क्योंकि आपने उन्हें उनके घरों में बंद कर रखा है। लोगों को बोलने दीजिए। केवल लोग कह रहे हैं, सिर्फ इससे ही कोई आरोपी दोषी नहीं हो जाता। अगर आप लोगों को चुप कराएंगे, तो ये तरीका काम नहीं करेगा।
इसके बाद डिविजन बेंच ने बसीरहाट के सुपरिन्टेंडेंट ऑफ पुलिस को निर्देश दिया कि वे इस मामले की अगली सुनवाई से पहले एक रिपोर्ट दाखिल करें, जिसमें बताना होगा कि एक फरवरी से अब तक संदेशखाली पुलिस स्टेशन में रेप और यौन उत्पीड़न के कितने मामले दर्ज किए गए हैं।