कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर और भ्रष्टाचार मामले के विरोध में TMC सांसद जवाहर सरकार ने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि वे राजनीति से भी संन्यास लेंगे।
जवाहर सरकार ने रविवार (8 सितंबर) को पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री CM ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखकर सरकार की कार्यशैली पर निराशा जताई। उन्होंने लिखा-
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मैं आरजी कर अस्पताल में हुई भयानक घटना के बाद एक महीने तक चुप रहा। मुझे उम्मीद थी कि आप अपने पुराने स्टाइल में प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों के मामले में हस्तक्षेप करेंगी। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। सरकार अब जो भी कार्रवाई कर रही है, वह बहुत कम है और काफी देर से की जा रही है। राज्य में बहुत पहले ही सामान्य स्थिति बहाल हो गई होती, अगर भ्रष्ट डॉक्टरों के ग्रुप को तोड़ दिया जाता और गलत प्रशासनिक कार्रवाई करने के दोषियों को घटना के तुरंत बाद सजा दी जाती।
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जवाहर सरकार ने चिट्ठी में ममता को बताया कि वे जल्द ही दिल्ली जाकर राज्यसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। जवाहर सरकार एक रिटायर्ड IAS अधिकारी हैं। वे एक पब्लिक इंटेलेक्चुअल, स्पीकर और लेखक के तौर पर जाने जाते हैं। तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने 2 अगस्त 2021 को उन्हें राज्यसभा भेजा था।
जवाहर सरकार ने चिट्ठी में ममता को बताया कि वे जल्द ही दिल्ली जाकर राज्यसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। जवाहर सरकार एक रिटायर्ड IAS अधिकारी हैं। वे एक पब्लिक इंटेलेक्चुअल, स्पीकर और लेखक के तौर पर जाने जाते हैं। तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने 2 अगस्त 2021 को उन्हें राज्यसभा भेजा था।
जवाहर सरकार ने भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की लगातार अनदेखी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘मैं 2022 में पार्टी जॉइन करने के एक साल बाद पूर्व शिक्षा मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के खुले सबूत देखकर काफी हैरान था। मैंने कह दिया था कि भ्रष्टाचार से पार्टी और सरकार को निपटना चाहिए, लेकिन पार्टी में सीनियर नेताओं ने मेरे साथ गलत व्यवहार किया।
मैंने तब इस्तीफा नहीं दिया, क्योंकि मुझे उम्मीद थी कि आप कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना अभियान जारी रखेंगी, लेकिन मेरा मोहभंग बढ़ता गया, क्योंकि राज्य सरकार भ्रष्टाचारियों को लेकर काफी लापरवाह रही।
मुझे यह देखकर आश्चर्य होता है कि कई पंचायत और नगरपालिका स्तर के नेताओं ने बड़ी संपत्ति अर्जित कर ली है। वे महंगी गाड़ियों में घूमते हैं। इससे न केवल मुझे, बल्कि पश्चिम बंगाल के लोगों को भी काफी दुख होता है।’
कुणाल घोष बोले- जवाहर के फैसले की आलोचना नहीं करूंगा
सांसद जवाहर सरकार के इस्तीफा के फैसले पर TMC नेता कुणाल घोष ने कहा, ‘मैं जवाहर सरकार के व्यक्तिगत सिद्धांत की आलोचना नहीं करूंगा। यह उनका फैसला है। वे अपने फैसले ले सकते हैं। वे बहुत वरिष्ठ और समझदार व्यक्ति हैं। उनके अलग सिद्धांत हैं। हमारा शीर्ष नेतृत्व इस पर विचार करेगा। हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते।’
दूसरी तरफ, मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ अनियमितता मामले में नए खुलासे हुए हैं। CBI सूत्रों ने शनिवार (7 सितंबर) को बताया कि घोष ने अपने करीबियों को अस्पताल में कई टेंडर दिलवाए थे।
उसने सुमन हाजरा नाम के एक दवा वेंडर को सोफा और फ्रिज सप्लाई का कॉन्ट्रैक्ट दिलवाया था। घोष के सिक्योरिटी गार्ड की पत्नी अस्पताल की कैंटीन चलाती थी। पूर्व प्रिंसिपल पर अपनी पसंद के डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए मेडिकल हाउस स्टाफ की भर्ती में भी गड़बड़ी करने का आरोप है।
CBI ने 2 सितंबर को संदीप घोष, उसके गार्ड अफसर अली और दो दवा वेंडर्स बिप्लव सिंघा, सुमन हाजरा को गिरफ्तार किया था। घोष ने 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर की घटना के बाद 12 अगस्त को पद से इस्तीफा दे दिया था। वह फरवरी 2021 से मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल था।
CBI जांच में वित्तीय गड़बड़ी से जुड़े खुलासे…
संदीप घोष ने मेडिकल हाउस स्टाफ की नियुक्ति के लिए एक इंटरव्यू सिस्टम शुरू किया। हालांकि अस्पताल में इंटरव्यू लेने वालों का कोई पैनल नहीं था। नियुक्ति से पहले इंटरव्यू के फाइनल मार्क्स जारी किए जाते थे। घोष पर कई योग्य ट्रेनी डॉक्टरों को नियुक्त नहीं करने का भी आरोप है।
संदीप घोष 2016 से 2018 के बीच मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज में पोस्टेड था। वह तब से बिप्लव और सुमन को जानता था। घोष अपने सिक्योरिटी गार्ड, बिप्लव और सुमन के साथ भ्रष्टाचार का नेटवर्क चलाता था।
घोष ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल बनने के बाद बिप्लव और सुमन को कोलकाता बुला लिया। उसने दोनों वेंडर्स को अस्पताल के कई टेंडर दिलवाए। घोष का गार्ड अस्पताल के बायोमेडिकल कचरे को बेचने के लिए भी वेंडर्स से कॉन्ट्रैक्ट करता था।
बिप्लब मां तारा ट्रेडर्स, बाबा लोकनाथ, तियाशा एंटरप्राइजेज समेत कई कंपनियां चलाता था। वह इन सभी कंपनियों के नाम पर अस्पताल में टेंडर्स के लिए अप्लाई करता था। ताकि टेंडर के लिए मार्केट में कॉम्पिटिशन दिखे। इसी में किसी एक कंपनी को टेंडर मिलता था।
CBI को बिप्लब की कंपनियों को टेंडर दिए जाने के तरीके में भी कई खामियां मिली हैं। CBI ने कहा कि वर्क ऑर्डर के लेटर कॉलेज के कई अधिकारियों को लिखे जाते थे, लेकिन उन्हें ये लेटर कभी सौंपे ही नहीं गए। इसका मतलब टेंडर प्रोसेस में अन्य अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया।
एजेंसी के मुताबिक, घोष के गार्ड की पत्नी नरगिस की कंपनी ईशान कैफे को अस्पताल में कैंटीन का ठेका मिला। संदीप घोष ने गार्ड की पत्नी की कंपनी को नॉन-रिफंडेबल कॉशन मनी भी लौटा दी।