लद्दाख के DGP एसडी सिंह जामवाल ने शनिवार को कहा कि सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक का पाकिस्तान इंटेलीजेंस ऑपरेटिव (PIO) के एक सदस्य से संपर्क था। PIO मेंबर को पुलिस ने कुछ दिनों पहले ही पकड़ा था। वह जरूरी जानकारी पाकिस्तान भेज रहा था। हमारे पास इसका रिकॉर्ड है।
यही नहीं वांगचुक पाकिस्तान के न्यूजपेपर डॉन के एक इवेंट कार्यक्रम में शामिल भी हुए थे। इसके अलावा वे बांग्लादेश भी जा चुके हैं। फिलहाल इन सभी मामलों की जांच जारी है।
वांगचुक को शुक्रवार दोपहर पुलिस ने उनके गांव उल्याकटोपो से गिरफ्तार किया था। उन्हें एयरलिफ्ट कर राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया। वांगचुक पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाया गया है, जिसके तहत लंबे समय तक बिना जमानत हिरासत में रखा जा सकता है।
सरकार ने वांगचुक को लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसा का जिम्मेदार बताया था। इस हिंसा में 4 युवकों की मौत हुई थी और 80 लोग घायल हुए थे, जिनमें 40 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। अब तक 60 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। लेह में तीन दिन के कर्फ्यू के बाद शनिवार दोपहर चार घंटे के लिए ढील दी गई।
सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। जब वे लेह नहीं पहुंचे तो आयोजकों को शक हुआ। बाद में गिरफ्तारी की खबर मिली। इसके बावजूद प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। आयोजकों ने माना,
लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पुलिस और CRPF ने न तो पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया और न ही चेतावनी के लिए गोलियां चलाईं, बल्कि सीधे अंधाधुंध फायरिंग की।
सोनम वांगचुक को पहले से अंदेशा था कि सरकार उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। एक दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि “इस मुद्दे पर कभी भी गिरफ्तार होना पड़े तो मुझे खुशी होगी।” लेकिन अब उनकी गिरफ्तारी से माहौल शांत होने के बजाय और बिगड़ सकता है।
माना जा रहा है कि इससे लद्दाख के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच चल रही बातचीत पर भी असर पड़ सकता है। वांगचुक पिछले पांच साल से लद्दाख के अधिकारों की लड़ाई का बड़ा चेहरा रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि वांगचुक हिंसा भड़काने वाले व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि शांतिपूर्ण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे।

