महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार गुरुवार को मराठवाड़ा के धाराशिव में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे थे। यहां पर उनका किसानों से बातचीत का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे कर्ज माफी की मांग पर गुस्सा करते नजर आ रहे हैं।
जब एक किसान ने कर्ज माफी की मांग की तो डिप्टी सीएम ने गुस्से में कहा- ‘इसे मुख्यमंत्री बना दो! क्या तुम्हें लगता है कि हम कंचे खेलने आए हैं?’
20 सितंबर से मराठवाड़ा के जिलों में भारी बारिश और नदियां उफान पर आने के बाद कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं। अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है और 30 हजार हेक्टेयर से ज्यादा की फसलें बर्बाद हुई हैं। राज्य सरकार ने 2,215 करोड़ रुपए की राहत राशि की घोषणा की है।
पवार ने कहा कि वे राजनीति नहीं करना चाहते और सच बोलना ही पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए केंद्र से भी मदद मांगेगी। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेटर भेजेंगे।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने भी गुरुवार को अमित शाह को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें बाढ़ प्रभावित किसानों की सहायता के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से सहायता मांगी।
मराठवाड़ा दौरे के दौरान अजित पवार ने बीड़ और आसपास के जिलों में फसलों व मकानों को हुए नुकसान का जायजा लिया। विपक्ष पहले ही सरकार से मराठवाड़ा को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित करने और तुरंत राहत देने की मांग कर चुका है।
यह पहली बार नहीं है, जब पवार अपने बयानों को लेकर विवादों में घिरे हों। इसी महीने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष अजित पवार का महिला IPS अधिकारी अंजना कृष्णा से बहस का वीडियो सामने आया था।
इसमें वे महिला अधिकारी को फटकारते नजर आ रहे हैं। घटना सोलापुर जिले के कुर्दु गांव की बताई जा रही है, जहां IPS अधिकारी मुरम का अवैध खनन रोकने पहुंची थीं। वीडियो में IPS उनसे फोन पर बात कर रही थीं।
उस कॉल पर पवार ने कथित तौर पर उन्हें अवैध रेत खनन पर कार्रवाई करने के लिए डांटा था। उन्होंने कहा था- ‘इतना आपको डेरिंग हुआ क्या?…मैं तेरे ऊपर एक्शन लूंगा।’ तब पार्टी नेताओं ने पवार का बचाव करते हुए कहा था कि यह बस उनका बोलने का अंदाज है।कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के सभी दिग्गज नेता नेहरू सेंटर मुंबई में एक-एक कर पहुंच रहे थे। बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूटने के बाद महाराष्ट्र में पिछले चार हफ्ते से तय नहीं हो पाया था कि सरकार कौन बनाएगा और किसके साथ मिलकर बनाएगा। इस लिहाज से ये बैठक बेहद अहम थी।

