कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ गुवाहाटी के पान बाजार पुलिस स्टेशन में शनिवार को FIR दर्ज की गई है।
आरोप है कि राहुल ने भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले बयान दिए। BNS की धारा 152 के तहत दर्ज FIR गैर जमानती है।
यानी अगर राहुल की गिरफ्तारी होती है तो उन्हें जमानत के लिए सीधे कोर्ट जाना पड़ेगा। FIR गुवाहाटी हाईकोर्ट के वकील मोनजीत चेतिया ने दर्ज कराई है।
चेतिया ने कहा कि, ‘राहुल के बयान से देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। विपक्ष के नेता का सार्वजनिक मंच से दिया गया बयान साधारण राजनीतिक टिप्पणी नहीं है।’
दरअसल, 13 जनवरी को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) प्रमुख रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार देने के लिए इंदौर में थे।
समारोह में भागवत ने कहा था कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को प्रतिष्ठा द्वादशी के तौर पर मनाया जाना चाहिए। इसे ही भारत का ‘सच्चा स्वतंत्रता’ दिवस मानना चाहिए।
15 जनवरी को नए कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन के उद्घाटन में राहुल ने भागवत के बयान पर कहा- भाजपा, RSS ने हर संस्था पर कब्जा कर लिया है। अब हम BJP-RSS और इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं।
शिकायतकर्ता का दावा- राहुल का बयान चुनावी हताशा
मोनजीत चेतिया ने कहा कि राहुल गांधी की यह टिप्पणी बार-बार चुनावों में मिल रही हार की हताशा से प्रेरित थी। विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल पर लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का विश्वास बनाए रखने की जिम्मेदारी है, लेकिन वे झूठ फैलाने और विद्रोह भड़काने का काम कर रहे हैं।
चेतिया ने कहा- लोकतांत्रिक तरीकों से जनता का विश्वास हासिल करने में नाकामयाब होने के बाद वे अब केंद्र सरकार और भारतीय राज्य के खिलाफ असंतोष भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।
खड़गे ने कहा था- भागवत का घूमना-फिरना मुश्किल हो जाएगा
भागवत के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी निशाना साधा था। उन्होंने 15 जनवरी को कांग्रेस मुख्यालय के उद्घाटन के बाद कहा था, “मैंने पेपर में पढ़ा कि मोहन भागवत ने कहा कि सच्ची स्वतंत्रता तब मिली जब राम मंदिर बना। PM मोदी और उन्होंने मिलकर राम मंदिर का उद्घाटन किया।
खड़गे ने कहा- मोदी समझते हैं कि उन्हें 2014 में आजादी मिली क्योंकि वो प्रधानमंत्री बने थे। RSS के लोग राम मंदिर बनने के दिन को आजादी का दिन मानते हैं। ये शर्म की बात है। आजादी मिलने के बाद भी वो इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं क्योंकि वे लड़े नहीं और जेल नहीं गए। इस कारण इन्हें याद नहीं रहता।