पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान अपने न्यूक्लियर हथियार सऊदी अरब के साथ शेयर करेगा। दोनों देशों के बीच बुधवार को एक रक्षा समझौता हुआ था, जिसके तहत अगर किसी एक देश पर हमला होता है, तो इसे दोनों पर हमला माना जाएगा।
आसिफ ने पाकिस्तानी न्यूज जियो टीवी को दिए साक्षात्कार में कहा, “हमारी परमाणु क्षमता पहले से अच्छी है। यह समझौता दोनों देशों को एक-दूसरे की रक्षा करने का वादा करता है। हमारे पास युद्ध के लिए ट्रेंड सेनाएं हैं। हमारे पास जो क्षमताएं हैं, वे इस समझौते के तहत निश्चित रूप से उपलब्ध होंगी।”
जब आसिफ से पूछा गया कि अगर भारत और पाकिस्तान में जंग होती है तो क्या सऊदी अरब इसमें पाकिस्तान की तरफ से शामिल होगा? इस पर ख्वाजा आसिफ ने कहा, “बिल्कुल, इसमें कोई शक की बात नहीं है।” हालांकि, उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया।
आसिफ ने कहा कि इस समझौते का इस्तेमाल किसी हमले के लिए नहीं, बल्कि रक्षा के लिए किया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को आर्थिक मदद दी है। पाकिस्तान के पास करीब 170 परमाणु हथियार हैं, जो भारत के 172 हथियारों के लगभग बराबर हैं।
आसिफ ने आगे कहा कि न तो सऊदी अरब ने किसी खास देश का नाम लिया और न ही हमने किसी का नाम लिया। यह बस एक अम्ब्रेला है जो दोनों को मिला है, जिसमें नियम है कि किसी एक पर भी हमला होता है तो दोनों मिलकर उसका जवाब देंगे। आसिफ ने यह भी कहा कि यह कोई ‘आक्रामक समझौता नहीं’, बल्कि ‘रक्षा व्यवस्था’ है।
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि सऊदी अरब के साथ हुए ऐतिहासिक रक्षा समझौते के बाद कई देशों ने पाकिस्तान के साथ ऐसे ही रणनीतिक रक्षा समझौते करने में रुचि दिखाई है।
लंदन में पत्रकारों से बात करते हुए डार ने कहा कि अभी जल्दी है कुछ कहना, लेकिन इस समझौते के बाद अन्य देशों ने भी इस तरह की व्यवस्था की इच्छा जताई है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे समझौते एक नियम के तहत ही तय होते हैं।
सऊदी अरब के साथ समझौते को अंतिम रूप देने में ही कई महीने लगे थे। डार ने समझौते को एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया और कहा कि पाकिस्तान और सऊदी अरब दोनों इससे संतुष्ट और खुश हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सऊदी अरब ने हमेशा मुश्किल वक्त में पाकिस्तान का साथ दिया है, खासकर हालिया अंतर्राष्ट्रीय और आर्थिक संकट के दौरान।

