सिक्किम में प्रेम सिंह तमांग लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बन गए। तमांग ने सोमवार 10 जून को गंगटोक के पल्जोर स्टेडियम में सीएम पद की शपथ ली। प्रेम सिंह तमांग, पीएस गोले के नाम से मशहूर हैं। 8 विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली।
सिक्किम में विधानसभा की 32 सीटें हैं, तमांग की सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) ने 31 सीटें जीतीं। सिक्किम में विधानसभा चुनाव के लिए 19 अप्रैल को एक चरण में वोटिंग हुई थी। 2 जून को नतीजे आए थे।
सिक्किम में 25 साल सत्ता में रही पार्टी का सफाया
सिक्किम में सत्ताधारी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) ने सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) का सफाया कर दिया। 25 साल (1994-2019) सत्ता में रहे SDF को इस बार महज एक सीट मिली। SDF के मुख्यमंत्री रहे पवन कुमार चामलिंग ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था और वे दोनों से हार गए। कांग्रेस-भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली।
सिक्किम में SKM और SDF ने 32-32, वहीं भाजपा ने 31 उम्मीदवार उतारे थे। कांग्रेस ने 12 सीटों पर चुनाव लड़ा था। सिटिजन एक्शन पार्टी-सिक्किम ने 30 सीटों पर कैंडिडेट उतारे थे।
2019 के आम चुनावों के बाद SKM का भाजपा के साथ गठबंधन हुआ था, लेकिन इस बार चुनावों से पहले भाजपा ने सिक्किम में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान करके गठबंधन तोड़ दिया था।
एक्सपर्ट ने बताई थीं SKM की जीत की वजहें
चुनावों से पहले सिक्किम में युवाओं को सरकारी नौकरियां दी गईं और राज्य में मुख्यमंत्री की योजनाओं का भी बड़ा असर रहा।
देश में पीएम आवास योजना तो है ही, लेकिन सिक्किम में भी मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत लोगों को घर दिए गए, जिससे जनता में सकारात्मक संदेश गया।
चुनाव में SDF ने सत्ताधारी SKM पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। चुनाव से ठीक पहले जब बाढ़ आई, तो SDF के शासन में बनी योजनाओं के अधूरेपन और भ्रष्टाचार के आरोपों की पोल खुल गई। इसका SDF पर नकारात्मक असर पड़ा और जनता ने फिर SKM पर भरोसा जताया।