कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी श्री सन फार्मास्युटिकल्स के खिलाफ सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) सख्त कार्रवाई करने की तैयारी में है। इस कफ सिरप से मध्य प्रदेश में 32 दिन में 16 बच्चों की मौत हो चुकी है। इन सभी की उम्र 1 से 5 साल के बीच थी। हालांकि प्रशासन ने अब तक सिर्फ 11 मौतों की पुष्टि की है।
कोल्ड्रिफ (Coldrif) दवा की मैन्युफैक्चरिंग तमिलनाडु के कांचीपुरम में हो रही थी। अब इसे देश के तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, केरल और तमिलनाडु) में बैन कर दिया गया है।
देशभर में दवाइयों को कंट्रोल करने वाली संस्था CDSCO दवा कंपनी के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए तमिलनाडु फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) को लिखेगा।
तमिलनाडु के ड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारियों की जांच में खुलासा हुआ है कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप में 48.6% डाईथाइलीन ग्लॉयकाल की मिलावट है। यह एक जहरीला केमिकल है।
एमपी के अलावा राजस्थान में एक अन्य कफ सिरप पीने से भरतपुर और सीकर में एक-एक मौतें सामने आई हैं। शुरुआती जांच में Dextromethorphan hydrobromide syrup ip का नाम सामने आया। यह दवाई एक निजी फार्मा कंपनी केसंस फार्मा तैयार करती है। यहां भी बच्चों की मौत की वजह किडनी फेल होना बताया गया। शनिवार को चूरू में एक बच्चे की मौत का कारण भी कफ सिरप पीना बताया जा रहा है।
इसके बाद शनिवार को सरकार एक्शन में आई। राजस्थान सरकार ने केसंस फार्मा की सभी 19 प्रकार की दवाइयों पर रोक लगा दी है। राज्य के ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा को निलंबित कर दिया गया। इससे पहले, शर्मा ने कंपनी को जांच में क्लीन चिट दी थी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 3 अक्टूबर को हेल्थ एडवाइजरी जारी करके कहा था कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप (खांसी और सर्दी की दवाएं) न दी जाएं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले DGHS ने एडवाइजरी में कहा कि आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं दिया जाना चाहिए। इससे बड़े बच्चों को यदि कफ सिरप दिया जाए तो उनका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।
यानी जिस बच्चे को दवा दी जा रही है, उसे कड़ी निगरानी में रखा जाए। उसे उचित खुराक दी जाए। कम से कम समय के लिए दवा दी जाए। कई दवाओं के साथ कफ सिरप नहीं दिया जाए। DGHS की डॉ. सुनीता शर्मा ने यह एडवाइजरी जारी की है।

