रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र सैनिक योगदान देने वाले देशों (UNTCC) के प्रमुखों के सम्मेलन में एक सभा शामिल हुए। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा- कुछ देश अंतरराष्ट्रीय नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं।
रक्षा मंत्री ने किसी देशों का नाम लिए बिना कहा- कुछ देश अंतरराष्ट्रीय नियमों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कुछ खुद के नियम बनाकर अगली सदी पर अपना दबदबा बनाना चाहते हैं। इन सबके बीच, भारत पुरानी अंतर्राष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था को कायम रखने में मजबूती से खड़ा है।
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि शांति भारत के अहिंसा और सत्य की फिलॉस्फी में गहराई से शामिल है, जिसका प्रचार महात्मा गांधी ने किया था। उन्होंने कहा कि शांति की स्थापना सिर्फ एक मिलिट्री मिशन नहीं, बल्कि एक साझा जिम्मेदारी है।
बता दें कि भारत पहली बार UNTCC प्रमुखों के कॉन्क्लेव की मेजबानी कर रहा है। यह सम्मेलन में 14 अक्तूबर से 16 अक्तूबर तक चलेगा। इसमें फ्रांस, इटली, थाइलैंड सहित 32 देशों के सीनियर सैन्य अधिकारी एक साथ मौजूद रहेंगे।
राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में संघर्ष और हिंसा के बजाय मानवता को प्राथमिकता देने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा- महात्मा गांधी के लिए, शांति सिर्फ युद्ध का अभाव नहीं था, बल्कि न्याय, सद्भाव और नैतिक शक्ति की एक सकारात्मक स्थिति थी।
रक्षा मंत्री ने कहा- हम सभी जानते हैं कि शांति स्थापना एक सैन्य मिशन से कहीं बढ़कर है। यह एक साझा जिम्मेदारी है। यह हमें याद दिलाती है कि संघर्षों और हिंसा से ऊपर, मानवता है और इस बनाए रखने की जरूरत है।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दशहरे पर भुज में एक मिलिट्री बेस का दौरा किया। उन्होंने सर क्रीक इलाके में पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद को लेकर कहा- भारत ने कई बार बातचीत के जरिए इसे सुलझाने की कोशिश की है, लेकिन पाकिस्तान की नीयत में खोट है। अगर पाकिस्तान ने कोई हिमाकत की, तो उसे ऐसा करारा जवाब मिलेगा कि इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे।

