सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को देश भर में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमले के मामले पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि वह सरकारी बिल्डिंग्स के कैम्पस में कुत्तों को खाना खिलाने के नियम के लिए निर्देश जारी करेगा।
मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि इससे जुड़ा आदेश एक-दो दिन में अपलोड कर दिया जाएगा। कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने से भी राहत दे दी।
जस्टिस नाथ ने कहा कि दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव के अलावा सभी राज्यों ने अपने हलफनामे दाखिल कर दिए हैं।अब मुख्य सचिवों की व्यक्तिगत पेशी की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, अगर हलफनामे में चूक हुई, तो उन्हें पेश होना पड़ेगा। मामले की अलग सुनवाई 7 नवंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर को पिछली सुनवाई में पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को आज पेश होने का निर्देश दिया था। क्योंकि वे कोर्ट के आदेश के बावजूद पशु जन्म नियंत्रण नियमों के अनुपालन को दर्शाने वाले हलफनामे दाखिल नहीं कर पाए थे।
जस्टिस नाथ ने कहा था- जब हम मुख्य सचिवों से हलफनामा दाखिल करने के लिए कहते हैं, तो वे इस पर चुप्पी साधे रहते हैं। हमारे आदेश का कोई सम्मान नहीं है। तो ठीक है, उन्हें आने दीजिए। हम उनसे निपट लेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर को राज्यों के रुख पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को तलब किया था। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम ने ही अनुपालन हलफनामा (कार्रवाई की रिपोर्ट) दिया है।
कोर्ट ने कहा- बाकी राज्यों ने अब तक यह बताने वाली रिपोर्ट दाखिल नहीं की है कि उन्होंने एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों के तहत क्या कदम उठाए हैं।
22 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों से जुड़े केस का दायरा दिल्ली-एनसीआर से बढ़ाकर पूरे देश में कर दिया था और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसमें पार्टी बनाने का निर्देश दिया था। वहीं, कोर्ट ने कहा था,

