सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण और पराली जलाने से संबंधित मामले पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि किसान हमारे अन्नदाता हैं लेकिन पर्यावरण को बचाना भी जरूरी है। अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी।
कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा कि जो किसान पराली न जलाने के सरकारी आदेश का उल्लंघन करते हैं, उनको गिरफ्तार क्यों नहीं करते? सिर्फ जुर्माना लगाने से काम नहीं चलेगा, किसानों को जवाबदेह बनाना जरूरी है।
CJI बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने कहा कि देश की प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियां और राज्य सर्दियों से पहले तीन हफ्ते में वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय बताएं।
बेंच ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM), सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से कहा कि हर साल सर्दियों में प्रदूषण का लेवल खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है, इसलिए समय रहते कदम उठाना जरूरी है।
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों को फटकार लगाई। बेंच ने कहा कि इन राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में लंबे समय से खाली पड़े पद तीन महीने के अंदर भरे जाएं।
इसके अलावा, कोर्ट ने CAQM और CPCB को भी निर्देश दिया कि वे अपने यहां खाली पड़े पदों पर भी 3 महीने के अंदर भर्ती करें। वहीं पदोन्नति से जुड़ी भर्तियों के लिए 6 महीने का समय तय किया गया है।
केंद्र सरकार ने 7 नवंबर 2024 को पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना दोगुना किया था। पर्यावरण मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर बताया था कि अब 2 एकड़ से कम जमीन पर 5000 रुपए का जुर्माना लगेगा।
दो से पांच एकड़ तक 10,000 रुपए और पांच एकड़ से ज्यादा जमीन वालों से 30,000 रुपए जुर्माना वसूला जाएगा। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली सरकार इन नियमों को लागू करने के लिए बाध्य होंगी।

