यह लेटर एडवोकेट मुस्तफा हाजी ने साझा किया है, जो लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के कानूनी सलाहकार हैं। उन्होंने और वांगचुक के भाई भाई त्सेतन दोरजे ले ने 4 अक्टूबर को जेल में वांगचुक से मुलाकात की थी।
दरअसल, वांगचुक को 24 सितंबर को लेह हिंसा भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत 26 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। वह फिलहाल जोधपुर की जेल में हैंं। वांगचुक की रिहाई की मांग को लेकर लगाई गई हेबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका पर 6 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
वांगचुक ने कहा कि वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हैं और सभी शुभचिंतकों का आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने लेटर में LAB और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) को पूरा समर्थन देने की बात कही।
उन्होंने लिखा- लद्दाख को राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की हमारी मांग संवैधानिक और न्यायसंगत है। LAB जो भी कदम लद्दाख के हित में उठाएगा, मैं उसके साथ पूरी तरह हूं।
सुप्रीम कोर्ट में सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग को लेकर लगाई गई याचिका पर 6 अक्टूबर को सुनवाई होगी। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो ने 2 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। गीतांजलि ने अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में हेबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दायर की थी। उन्होंने दावा किया था कि उनके पति की गिरफ्तारी अवैध है।
हेबियस कार्पस लैटिन भाषा का शब्द है, इसका मतलब होता है- शरीर सामने लाओ। यानी किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी ढंग से गिरफ्तार किया है, हिरासत में रखा है, तो अदालत उस व्यक्ति को तुरंत कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश दे सकती है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 और 226 के तहत यह अधिकार हर नागरिक को मिला है। कोई भी व्यक्ति, उसका परिवार/दोस्त हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हेबियस कॉर्पस रिट दायर कर सकता है। आदेश के बाद पुलिस को पूरी जानकारी कोर्ट के सामने रखनी होती है।
हेबियस कार्पस लैटिन भाषा का शब्द है, इसका मतलब होता है- शरीर सामने लाओ। यानी किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी ढंग से गिरफ्तार किया है, हिरासत में रखा है, तो अदालत उस व्यक्ति को तुरंत कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश दे सकती है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 और 226 के तहत यह अधिकार हर नागरिक को मिला है। कोई भी व्यक्ति, उसका परिवार/दोस्त हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हेबियस कॉर्पस रिट दायर कर सकता है। आदेश के बाद पुलिस को पूरी जानकारी कोर्ट के सामने रखनी होती है।

