आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को कहा कि चीन के साथ भारत के हालात स्थिर हैं, लेकिन ये सामान्य नहीं हैं, काफी संवेदनशील हैं। चीन के साथ हमें लड़ना भी है, सहयोग करना है, साथ रहना है, सामना करना है और चुनौती भी देनी है। चीन के साथ रिश्ते बहुत उलझे हुए हैं।
सेना प्रमुख ने कहा कि हम चाहते हैं चीन के साथ हालात अप्रैल 2020 के पहले जैसे हो जाएं। फिर चाहे वह जमीन के कब्जे की बात हो या बफर जोन बनाए जाने की बात हो। जब तक पहले जैसे स्थिति बहाल नहीं होती, तब तक हालात संवेदनशील बने रहेंगे और हम किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। सबसे बड़ी क्षति हमारे विश्वास की हुई है।
उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच अप्रैल से अब तक कमांडर लेवल की 17 बैठकें हुई हैं। इन बैठकों में हमने कई मुद्दों पर चर्चा की है। अब जब दोनों तरफ मुश्किल हालात हैं, तो हमें ऐसा रास्ता ढूंढना होगा जिसमें दोनों को फायदा हो।
विदेश मंत्रालय बोला- बैठकों की मदद से तनाव खत्म करने की कोशिशें जारी हैं
इससे पहले सितंबर की शुरुआत में विदेश मंत्रालय ने भारत-चीन रिश्तों के मौजूदा हालात को लेकर अपडेट दिया था। उन्होंने कहा था कि बातचीत जारी रखने और वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) बैठकों के माध्यम से तनाव को सुलझाने की कोशिशें जारी हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कई फोरम में लगातार चीन के साथ संबंधों पर चर्चा कर चुके हैं और WMCC बैठकों में क्या बात हुई है, इसका भी अपडेट देते रहे हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा में एक समिट के दौरान कहा था कि चीन के साथ विवाद का 75% हल निकल गया है। विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण का मुद्दा अभी भी गंभीर है।
जयशंकर ने कहा कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया है। सीमा पर हिंसा होने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि बाकी रिश्ते इससे प्रभावित नहीं होंगे।
जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है। सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं का एक-दूसरे के करीब होना एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने ये भी कहा कि अगर सीमा विवाद का समाधान हो जाता है, तो भारत-चीन संबंधों में सुधार संभव है।
हालांकि, 25 सितंबर को न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में उन्होंने 75% विवाद हल होने वाले अपने बयान को लेकर सफाई दी। उन्होंने कहा, ‘मैंने यह बात सिर्फ सैनिकों के पीछे हटने के संदर्भ में कही थी। चीन के साथ दूसरे मुद्दों पर अभी भी चुनौती बनी हुई है।’ उन्होंने कहा, ‘चीन के साथ भारत का इतिहास मुश्किलों से भरा रहा है।’