नई दिल्ली: देश में सबसे अधिक खतरा दिहाड़ी मजदूर और दैनिक कामगारों को है. यह वर्कफोर्स का 80 फीसदी हिस्सा हैं और इन्हें न तो कोई स्वास्थ लाभ मिलता है और ही इनके पास जॉब सिक्योरिटी है. आकार में भारत का असंगठित क्षेत्र काफी विशाल है.
सिर्फ मुंबई की बात करें, तो साल 2011 की जनगणना के मुताबिक सपनों की इस नगरी में 80 लाख लोग बाहर से आए हुए हैं.
ऐसें लंबा लॉकडाउन उनकी सालों की बचत को चंद सप्ताह में साफ कर सकता है. लॉकडाउन की आर्थिक मार काफी जबरदस्त हो सकती है.
ये तमाम लोग बड़े शहरों से अपने गांव और शहर का रुख कर रहे थे. कोरोना वायरस का जोखिम देश के ग्रामीण इलाकों तक पहुंच सकता है.
भारत के कई राज्यों में लॉकडाउन लागू है. कई जानकारों का मानना है कि दुनिया की दूसरी सबसे आबादी वाले देश में कोरोना वायरस को रोकने के लिए उठाया गआ है कदम पर्याप्त नहीं है.
दरअसल, लॉकडाउन से पहले कई बड़े रेलवे स्टेशनों पर भीड़ का हुजूम उमड़ पड़ा.
ये तमाम लोग बड़े शहरों से अपने गांव और शहर का रुख कर रहे थे. ऐसे में इस बात का अंदेशा बढ़ा है कि कोरोना वायरस का जोखिम देश के ग्रामीण इलाकों तक पहुंच सकता है. दिल्ली के सभी सात जिलों को लॉकडाउन कर दिया गया है. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में भी लॉकडाउन है.
कई अन्य शहरों में 31 मार्च तक सभी गैर-जरूरी बिजनेस को बंद रखा गया है. हालांकि, इस दौरान अभी तक बैंक और शेयर बाजार खुले हैं.
22 राज्यों के 75 जिलों में यातायात की न्यूनतम सेवाएं जारी रहेंगी. कई राज्यों ने अंतर्राजीय बस सेवा और स्थानीय सार्वजनिक यातायात को अगले आदेश तक बंद कर दिया है. 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर लगाए गए ‘जनता कर्फ्यू’ के बाद सरकारों ने यह फैसला किया है.
भारत में अभी तक कोरोना वायरस के मामलों के बढ़ने की रफ्तार बहुत ज्यादा नहीं है.
अभी तक करीब 425 मामले और आठ मौत सामने आई है. भारतीय मेडिकल शोध संघ (आईसीएमआर) में वायरोलॉजी के विशेष शोध के पूर्व प्रमुख डॉ. टी जेकब जॉन ने कह ..
जॉन ने रविवार को कहा, “लॉकडाउन के जरिए जिंदगी रोक देने का फैसला अच्छा है. मगर यह नहीं कह सकते कि इससे लोगों को संक्रमण से बचने का समय मिलेगा या नहीं. हम अभी वायरस के महामारी बनने से दो कदम पीछे हैं. मगर यह फैसला एक सप्ताह पहले लिया जाना था ताकि इसे ग्रामीण भारत में पहुंचने से रोका जा सके.
” जॉन का अनुमान है कि यह वायरस 130 करोड़ की आबादी वाले भारत की 1 फीसदी जनता तक फैसल सकता है. इससे अधिक प्रभावित वे 80 लाख लोग होंगे, जिन्हें पहले से कोई गंभीर है.
उन्होंने कहा, “आंकड़े बढ़ सकते हैं, मगर यदि जनता कर्फ्यू संक्रमण रोकने में कारगर रहा, तो इससे काफी फर्क पड़ेगा.” आर्थिक रूप से देखा जाए तो लॉकडाउन हालात को बद से बदतर करेगा. अर्थव्यवस्था 11 साल की सबसे सुस्त रफ्तार से बढ़ रही है. रुपया लगातार कमजोर पड़ रहा है. वैश्विक स्तर पर बिकवाली जारी रही है. निवेशक जोखिम भरे एसेट्स से दूरी बना रहे हैं.
मार्च में विदेशी निवेशक भारतीय शेयर और डेट बाजार से 1 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं.
साल 2013 के बाद यह सबसे बड़ी निकासी है. भारतीय रिजर्व बैंक लगातार प्रयास कर रहा है कि बाजार में लिक्विडिटी बनी रहे. जोखिम से दूरी भारतीय कंपनियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. रोकना होगा संक्रमण देश में शहरों की सड़के वीरान पड़ी हैं. लोग घरों के भीतर हैं. रविवार को 14 घंटे का जनता कर्फ्यू काफी हद तक सफल रहा. मगर कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए इतना ही पर्याप्त नहीं है. कई बड़े और ठोस कदम उठाने की जरूरत है.