New Delhi/Atulya Loktantra : पाकिस्तान की 15 सदस्यीय एक टीम फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की चार दिवसीय बैठक में शामिल होने के लिए बैंकॉक पहुंच गई है. आतंकी फंडिंग की निगरानी करने वाली वैश्विक संस्था एफएटीएफ आतंक के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई की समीक्षा करेगा.
वर्तमान में, पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल है लेकिन अब उसके ऊपर ब्लैकलिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है. पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ कार्रवाई के लिए 27 सूत्रीय ऐक्शन प्लान सौंपा गया था और इन्हीं पैमानों पर उसके प्रदर्शन की समीक्षा की जाएगी. अगर पाकिस्तान आतंकी संगठनों की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने पर कार्रवाई के पर्याप्त सबूत नहीं दे पाता है तो उस पर एफएटीएफ से ब्लैकलिस्ट होने का खतरा बढ़ जाएगा. पाकिस्तान ने 27 सूत्रीय एक्शन प्लान पर अपनी परफॉर्मेंस रिपोर्ट पहले ही संस्था को सौंप दी है और अब इस इस बैठक में उसकी कार्रवाई की समीक्षा होनी है.
पाकिस्तान को आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत के खिलाफ जुटाए गए सबूतों से एफएटीएफ को संतुष्ट करना होगा. इसके अलावा, आतंकी हाफिज सईद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की भी समीक्षा की जाएगी.
इसी परफॉर्मेंस रिपोर्ट के आधार पर, एफएटीएफ की पैरिस में अक्टूबर महीने में होने वाली बैठक में पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में डाले जाने पर अंतिम फैसला होगा. पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने का जबरदस्त वैश्विक दबाव है. भारत के अलावा, यूएस, फ्रांस, जर्मनी, यूके की कोशिशों के बाद एफएटीएफ ने जून 2018 से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था.
पाकिस्तान के लिए अक्टूबर 2019 तक की डेडलाइन है, अगर पाकिस्तान इस वक्त तक वैश्विक संस्थाओं को आतंकवाद के खिलाफ अपनी कार्रवाई से आश्वस्त नहीं कर पाता है तो फिर वह ग्रे लिस्ट से ब्लैकलिस्ट में पहुंच सकता है.
ब्लैकलिस्ट होने की स्थिति में आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए कई चुनौतियां एक साथ पेश हो जाएंगी. पाकिस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था वैश्विक वित्तीय व्यवस्था से बिल्कुल कट जाएगी. इसके अलावा, पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मई में स्वीकृत हुए 6 अरब डॉलर के रेस्क्यू पैकेज पर भी खतरा मंडराएगा और उसकी अर्थव्यव्यवस्था की विश्वसनीयता खराब होने से निवेश भी गिर जाएगा.