फरीदाबाद। श्रीराम कथा में कथावाचक कथावाचक परम पूज्य संत श्री कृष्णा स्वामी जी वृन्दावन वाले महाराज जी ने केवट प्रसंग व भरत मिलाप का अत्यंत मार्मिक वर्णन किया। जिसे सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए।
सेक्टर 9 के श्री राम मंदिर में 10 दिवसीय श्री राम कथा के पांचवे दिन कथावाचक परम पूज्य संत श्री कृष्णा स्वामी जी वृन्दावन वाले महाराज जी ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के जीवन गाथा केवट संवाद , चित्रकूट महात्म्य और श्री राम भरत मिलाप का वर्णन अमृतमय वाणी में बड़े ही सुन्दर तरीके से किया।
कथावाचक परम पूज्य संत श्री कृष्णा स्वामी जी ने श्री राम भरत मिलाप का वर्णन करते हुए कहा की श्रीराम भरत जैसा आदर्श प्रेम विश्वास के किसी साहित्य में देखने को सुनने को नहीं मिलता। श्रीराम ने पिता की आज्ञा को सर्वोपरि मानकर मर्यादा की सौगंध देकर भरत से अयोध्या का राज सिंहासन संभालने का आदेश दिया।
भरत ने सिंहासन चलाने के लिए प्रभु श्रीराम से उनकी चरण पादुका मांग ली। जब तक श्री राम अयोध्या वापस नहीं आएंगे, राजकाज चलाने में उन्हीं चरण पादुकाओं का आदेश मानकर राज से दूर नंदीग्राम में रहकर राजकाज का कार्य संपन्न किया जाएगा।
कथावाचक परम पूज्य संत श्री कृष्णा स्वामी जी ने केवट संवाद में कहा की गंगाजी का किनारा भक्ति का घाट है और केवट भगवान का परम भक्त है, किंतु वह अपनी भक्ति का प्रदर्शन नहीं करना चाहता था।
अत: वह भगवान से अटपटी वाणी का प्रयोग करता है। केवट ने हठ किया कि आप अपने चरण धुलवाने के लिए मुझे आदेश दे दीजिए, तो मैं आपको पार कर दूंगा केवट ने भगवान से धन-दौलत, पद ऐश्वर्य, कोठी-खजाना नहीं मांगा।
उसने भगवान से उनके चरणों का प्रक्षालन मांगा। केवट की नाव से गंगा पार करके भगवान ने केवट को उतराई देने का विचार किया। सीता जी ने अर्धागिनी स्वरूप को सार्थक करते हुए भगवान की मन की बात समझकर अपनी कर-मुद्रिका उतारकर उन्हें दे दी।