निठल्ले किसी भी समाज में हिकारत की नजर से देखे जाते हैं। किसी भी उस नवयुवक को समाज निठल्ला मान लेता है, जिसे 30-35 वर्ष तक धक्के खाने के बाद भी नौकरी नहीं मिलती और शादी नहीं होती। इसी तरह कई मुद्दों को शामिल करते हुए निठल्ला नाटक में कलाकारों ने दर्शकों को हंसाने के साथ ही सोचने और झकझोरने पर भी विवश किया।
कैसल ऑफ़ आर्ट थियेटर, दशमेश प्लाजा में फोर्थ वॉल प्रोडक्शंस की प्रस्तुति निठल्ला नाटक का निर्देशन दीपक पाल सिंह ने किया। इस नाटक का शुभारंभ ओम आरोग्य ट्रस्ट के अध्यक्ष और संस्कार भारती के जि़ला मंत्री नाड़ी वैद्य लेखराज और जादूगर सीपी यादव ने किया। इस नाटक में ऐसे प्रसंगों को शामिल किया गया है जो दर्शकों को गुदगुदाने के साथ ही उन्हें सोचने पर भी मजबूर करते हैं मसलन धर्म के नाम पर फैला आडंबर, रिश्वतखोरी के जरिए काम निकालने वाले अफ़सरशाह, प्रेम में धोखा खाने वाले नवयुवक आदि। इस तरह निठ्ल्ला नाटक का अंत अभिनेताओं द्वारा समाज में एक सच्चा इंसान ढूंढने के साथ होता है।
हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाओं पर आधारित इस नाटक का लेखन कुलदीप कुणाल ने किया है। इसमें अभिषेक राठौड़, तरूण, आकाश सेंगर, अभिषेक प्रिंस, दर्शन, अमन, निशांत कदम, ऋषभ, हेमंत कौशिक, लक्ष्मी नारायण आदि अभिनय कर रहे हैं। संस्था के सचिव डॉक्टर अंकुश शर्मा ने कहा है कि कि जल्द ही शहर में इस नाटक के और मंचन भी किए जाएंगे।