बच्चों के भविष्य को देखते हुये बच्चो की आयुसीमा पर सरकार शीघ्र आदेश जारी करे – महेन्द्र मित्तल

Deepak Sharma

बच्चों के भविष्य को देखते हुये बच्चो की आयुसीमा पर सरकार शीघ्र आदेश जारी करे - महेन्द्र मित्तल

यमुनानगर ( अतुल्य लोकतंत्र): संवाददाता/ बुधवार को कैनल रेस्ट हाउस, यमुनानगर में अभिभावक सेवा मंच के तत्वावधान में पत्रकार वार्ता का आयोजन प्रभारी सन्दीप गांधी व सचिव विपिन गुप्ता के द्वारा हुआ। समाजसेवी महेन्द्र मित्तल व अन्य साथी प्रैस वार्ता में पहुचे। उन्होने समाज की समस्याओं को पत्रकारों से साझा कर सरकार से शीघ्र समाधान करने के लिए मांग रखी और आयुसीमा के आदेश जल्दी जारी करने की मांग की। प्रैस वार्ता में सभी निजी व सरकारी स्कूलों के अभिभावकों व मंच के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। प्रैस वार्ता में तीन मुख्य विषय रहे। समाजसेवी महेन्द्र मित्तल ने बताया कि अभिभावक सेवा मंच एक सामाजिक संगठन है। समाज की समस्याओं को सरकार तक पहुंचा कर समस्याओं के समाधान हेतु प्रयास करता रहता है। उन्होंने आज की शिक्षा प्रणाली में आ रही समस्याओं पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि छः साल से कम उम्र के बच्चो के लेकर शिक्षा विभाग से अभी तक आदेश जारी नही हुये। जबकि 31मार्च को शिक्षा मन्त्री, हरियाणा ने सभी अभिभावकों को यह आश्वस्त कर घर भेजा था कि आगामी तीन साल के लिए नई शिक्षा नीति के तहत जो भी समस्या अभिभावकों को आ रही है। वह परेशानी जायज है। जिसका समाधान निकालते हुए अभिभावको को राहत देने की बात कही थी। किन्तु अभी तक आधिकारिक आदेश ना आने पर अभिभावकों में भारी निराशा व दुख है। अभिभावक अब बच्चों के भविष्य को लेकर चिन्तित हैं। उनका सरकार के आश्वासन से विश्वास भी डगमगाने लग गया। पोर्टल भी बन्द है। सरकार शीघ्र आदेश जारी करे। जिससे बच्चो का साल बच सके।

आगे बोलते हुए कहा कि निजी स्कूलों पर नियम कानून बनाए की सरकार के नियमों के अनुसार कितनी अधिकतम एडमिशन फीस ले सकते हैं। और प्रति माह की फीस भी सरकार की नियमावली के अनुसार कितनी अधिकतम होनी चाहिए। उन्होने कहा की सभी विद्य़ालयों की एक ही वर्दी और किताबे होनी चाहिये। एक जैसा सलेबस हो। जिससे सभी छात्र एक जैसा अध्यन कर सकें। कोई भेद ना हो। उन्होंने आगे कहा कि 58 निजी स्कूलों की जांच रिपोर्ट आर.टी.आई लगाने के लगभग 50 दिन बाद भी व मन्त्री जी के द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को स्पष्ट निर्देश जारी करने के बाद भी आर.टी.आई की रिपोर्ट नहीं दी जा रही है। जिस पर विभाग कार्यवाही नहीं कर रहा।

जिला प्रभारी सन्दीप गांधी व सचीव विपिन गुप्ता ने कहा कि NCERT एनसीईआरटी की किताबों लगवाना भी सरकार की जिम्मेदारी है। अभिभावकों ने भी इसका अनुमोदन किया। अभिभावकों ने बताया उन्हे मजबूरन डर के मारे किताबें खरीदनी पडती हैं। सभी स्कूलों में एक ही तरह का यूनिफार्म का मुद्दा भी छाया रहा। सुमन बाल्मीकि ने कहा कि छोटी-छोटी कक्षाओं में निजी स्कूलों ने भारी भरकम सिलेब्स की निजी प्रकाशकों की किताबें लगा दी है। और नतीजतन अभिभावकों को मजबूरी में सरकार द्वारा अनुमोदित किताबों से दस गुणा महंगी निजी पब्लिशर्स की किताबें खरीदनी पड़ गई। जिससे बच्चों के बाल मन और तन यानि कंधो पर जरूरत से कहीं ज्यादा बोझ पढ गया है। कुछ स्कूलों के स्कूल बैग तो 10 से 15 किलो के हो गये हैं। जबकि आज के समय में बच्चों का खुद का वजन 15 -20 से अधिक कम ही बच्चों का है। सरकार से मांग की गई कि जल्द से जल्द आदेश जारी करें। जिससे प्रदेश के लाखों बच्चों का साल बच सके। और वह अगली कक्षाओं में जाकर राष्ट्र सेवा में अपना योगदान दे सकें।

मौके पर अभिभावक सेवा मंच के पदाधिकारी संजीव गुप्ता, संजय मित्तल, सुमन लता, ममता शर्मा, संजय शर्मा, विपिन गुप्ता, चारू गुप्ता, विशाल गुप्ता, संजीव गुप्ता, बावा सिंह, पवन कुमार, दीपक, संदीप आदि दर्जनों अभिभावकों के संग उपस्थित रहे।

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