वाकई हमारा लोकतंत्र अतुल्य है, जिसकी तुलना विश्व के किसी भी राष्ट्र से करना बेमानी ही होगी। भारत, दुनिया में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। दुनिया में एकमात्र ऐसा देश, जिसने हर वयस्क नागरिक को स्वतंत्रता के पहले दिन से ही वोट देने और उन्हें अपने नेताओं का चुनाव करने का अधिकार दिया। अमेरिका (दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश) ने स्वतंत्रता के 100 से अधिक वर्षों बाद इस अधिकार को अपने नागरिकों को दिया।
भारत में लोकतंत्र (ग्रीक:डेमोस्;जन साधारण, क्रेसी;शासन) तब आया, जब 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ। यह संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। जनता की संपूर्ण और सर्वोच्च भागीदारी, जनता के अधिकारों-स्वतंत्रता की हिफाजत सरकार का कर्तव्य, सभी नागरिकों को समानता-स्वतंत्रता-न्याय का वादा, उत्तरदायी सरकार, निष्पक्ष न्यायालय, निष्पक्ष चुनाव, वयस्क मताधिकार, जनता द्वारा चुनी गई प्रतिनिधि सरकार, कानून का शासन, विभिन्न राजनीतिक दलों तथा दबाव समूहों की उपस्थिति, सीमित तथा संवैधानिक सरकार, सरकार के निर्णयों में सलाह, दबाव तथा जनमत द्वारा जनता का हिस्सा, सरकार के हाथ में राजनीतिक शक्ति जनता की अमानत के रूप में इस लोकतंत्र के कुछ मौलिक उद्देश्य व विशेषताएं हैं।
करीब 29 भाषाएं एवं करीब 1650 बोलियां भारत में बोली जाती हैं। इतना विशाल जातीय समूह किसी अन्य देश में देखने को नहीं मिलता। एक दलित द्वारा तैयार संविधान, सबसे ज्यादा निर्वाचित व्यक्ति और उनमें भी निर्वाचित महिलाओं (पंचायतों आदि) की संख्या सबसे अधिक हमारे लोकतंत्र को विशिष्ट बनाती है। “लोकतंत्र का अर्थ है, एक ऐसी जीवन पद्धति जिसमें स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व समाज-जीवन के मूल सिद्धांत हैं। “-बाबा साहब अम्बेडकर। यदि सरटोरी की पुस्तक ‘डेमोक्रेटिक थ्योरी’ की बात की जाए तो उनके अनुसार, ‘लोकतंत्र काफी कठिन शासन है, केवल विशेषज्ञ लोग ही इसे भीड़तंत्र से बचा सकते हैं। ‘संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्र एवं लोकतांत्रिक गणराज्य इन पांच लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर भारत कार्य करता है।
भारत की बहुरंगी विविधता, समृद्ध-सांस्कृतिक विरासत एवं बहुआयामी सामाजिक, आर्थिक प्रगति इसके लोकतंत्र को अतुल्य बनाती है। दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में खड़े होना, स्वदेशी परमाणु तकनीक को विकसित करना, दुनिया के सबसे कम लागत का सुपर कंप्यूटर, सबसे बड़ा दुग्ध-मक्खन-दाल उत्पादक, सबसे कम लागत की परमाणु ऊर्जा ($:1700किलोवाट प्रति) उत्पन्न करने वाला देश, थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा विकसित करने वाला एकमात्र देश, अन्तरिक्ष में वाणिज्यिक उपग्रह, चांद और मंगल पर मानव रहित मिशन भेजने वाला देश, परमाणु पनडुब्बी लांच करने वाला देश, सबसे बड़ा ताम्र स्मेल्टर, एल्युमीनियम, सीमेंट, उर्वरक एवं इस्पात का सबसे कम लागत निर्माता, निम्नतम लागत वाली कार (नैनो )का निर्माता, दुनिया के दोपहिया वाहनों का सबसे बड़ा उत्पादक, विश्व की सबसे बड़ी दुग्ध सहकारी संस्था, चीनी-कपास का बड़ा उत्पादक, सोने का सबसे बड़ा आयातक व उपभोक्ता, बड़ा शेयर बाजार, सबसे अधिक बैंक खाताधारक, कृषि भूखंडधारक, सबसे बड़ा अन्तरदेश प्रेषण, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क, विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हवाई अड्डा (दिल्ली ), ‘मिड डे मील ‘दुनिया का सबसे बड़ा भोजन कार्यक्रम, दुनिया का सबसे बड़ा रोजगार देने वाला राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम, नौसेना में अरिहंत शक्ति का जुड़ना भारत के लोकतंत्र को सुदृढ, अतुल्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
भारतीय विशेषज्ञों का आर्सेनिक विषाक्तता शोध के लिए आक्सफोर्ड पुरस्कार प्राप्त करना, 2 वर्ष के लिए प्रसारण विकास हेतु एशिया-प्रशांत संस्था का अध्यक्ष चुना जाना, अजय दाता का ICANN में सदस्य बनना, NASA (National Aeronautics Space Administration, Washington DC) का सूर्य को छूने के लिए पावर सोलर प्रोब्लम लांच करना, भारत की पहली बिना इंजन की ट्रेन-18 (वंदे भारत) का I.C.F. (Integral Coach Factory, Chennai) द्वारा विकसित होना, भारत का विश्व में सबसे भरोसेमंद राष्ट्रों में आना, दुनिया के शीर्ष 30 कंटेनर बंदरगाहों की सूची में एकमात्र भारतीय बंदरगाह JNPT (Jawaharlal Nehru Port Trust, Mumbai) का होना, भारत का जापान को पीछे छोड़ते हुए दूसरा सबसे बड़ा क्रूड स्टील निर्माता बनना जैसे कार्य भारत के लोकतंत्र को असीम ऊर्जा देते हुए अतुल्य बनाये रखते हैं। इसीलिए,भारत आज विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में निखर रहा है एवं WEF (World Economic Forum, Switzerland) के अनुसार, भारत 2030 तक विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बनने के लिए तैयार है।
HIV AIDS,पोलियो, टी.बी., कैन्सर जैसी इत्यादि बीमारियों पर अंकुश, समलैंगिकता को अपराध नियंत्रण मानना, 3 तलाक पर अध्यादेश, डिजिटल तकनीक को प्रोत्साहन जैसी तमाम बातें हमारे लोकतंत्र को और पुख्ता बनाती है।आतंकवाद के खिलाफ, जिस प्रकार देश का हर नागरिक मजबूती के साथ भाईचारे का संदेश देते हुए आतंकवाद को जड़ से मिटाने के लिए प्रतिबद्ध है एवं आतंकवादी धरती पर घुसकर जिस तरह से सेना ने आतंकवाद का खात्मा करने की कोशिश की है (जैसे-पुलवामा अटैक का बदला, म्यांमार सर्जिकल स्ट्राइकर 2015 आदि) वाकई यह जोश नमनीय होने के साथ-साथ हमारे अतुल्य लोकतंत्र में असीम अतुलनीयता का संचार करता है।
फिर भी, सत्य बेशक कड़वा होता है किन्तु सत्य तो सत्य ही है। उस वक्त मन में टीस जरूर उबर आती है जब आये दिन देखने को मिलता है कि जनसंख्या का एक विशाल समूह आज भी विकास की मुख्य धारा से जातिवाद, लिंग-भेद, साम्प्रदायिकताकि, गरीबी, निरक्षरता, भ्रष्टाचार, दहेज, मानवीय घृणा, हिंसा, अश्लीलता, कामुकता जैसी दिल दहला देने वाली सामाजिक उद्दंडताओ के कारण बेगाना खड़ा है। आखिर, ऐसा क्यों होता है?
शायद, ये कमी इस लोकतंत्र को चलाने वालों की कार्यप्रणाली से ही आई है। निश्चित रूप से लोकतंत्र की संरचना से तो नहीं ही आयी है। इसलिए शासन पद्धति की परिभाषाओं के मद्देनजर भारत का लोकतंत्र दोषपूर्ण लोकतंत्र माना गया जबकि पूर्ण लोकतंत्र (जैसे-नार्वे), मिश्रित लोकतंत्र (जैसे-बांग्लादेश), तानाशाही शासन तंत्र (जैसे-उ.कोरिया) हैं। भारत, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्राजील, आस्ट्रेलिया समेत केवल 56 देशों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन होता है। जबकि अजरबैजान, बहरीन, क्यूबा, चीन, उ.कोरिया, क्यूबा, ओमान, कतर आदि में निरंकुश शासन है। केवल 15% देशों में पूर्णत: लोकतंत्र और 31% देशों में एकाधिकार शासन है।तेल समृद्ध देशों को छोड़ दें तो 25 अमीर देशों में पूर्ण लोकतंत्र है।
अब भी यदि भारतीय लोकतंत्र समस्त कुरीतियों पर गंभीरता से गौर करे तो निश्चित रूप से भारतीय लोकतंत्र हमेशा अतुल्य लोकतंत्र की ओर अग्रसर होता रहेगा।
(रचना शर्मा, लेखिका उत्तराखंड सरकार में एक शिक्षक हैं)
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