मर्दों को लगता है… लड़कियां घास जैसी होती हैं, हर हफ्ते उनकी कटाई-छंटाई जरूरी है; फिर भी काबू में न आएं तो रेप है ही
कहानी थोड़ी पुरानी है। दिसंबर 2012 की। तब फेसबुक महोबा या अकोला के धुएं से स्याह पड़े घरों तक नहीं पहुंचा था, बल्कि बड़े-मंझोले शहरों का तामझाम हुआ करता था। हां, पश्चिम में जरूर ये ऐसा प्लेटफॉर्म था, जहां क्रांति से लेकर कत्ल तक के किस्से रंगीन तस्वीरों और मोटे-मोटे लफ्जों में दिख जाते। रूई-रेशम और तांबे के भाव से…

