एक सुदृढ़ और समावेशी न्यू इंडिया के लिए सुधारों का पुनः निर्धारण: निर्मला सीतारमण
भारतीय अर्थव्यवस्था में विशेषकर पिछले सात वर्षों में तेजी से बदलाव हो रहे हैं और इन्हें परिवर्तनकारी कहा जा सकता है। समय हमें अपेक्षाकृत कम प्रभावी वृद्धिशील परिवर्तनों को अपनाने की सुविधा नहीं देता। भारत को कमजोर समाजवाद से दूर और भारतीय लोकाचार व परम्पराओं के अनुरूप मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था की ओर ले जाना एक बहुत बड़ा कार्य है। समाजवाद,…

