बिना ऑपरेशन मोतियाबिंद का इलाज, 2023 तक बाजार में सकती है आईड्राॅप

Deepak Sharma

Updated on:

बिना ऑपरेशन मोतियाबिंद का इलाज - Cataract Treatment without Surgery in India

New Delhi/Atulya Loktantra: बिना ऑपरेशन मोतियाबिंद इलाज: भारत सरकार के इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मोहाली के वैज्ञानिकों की टीम ने दर्द या बुखार कम करने के लिए दी जाने वाली दवा एस्पिरिन से नैनोरोड्स (अत्यंत महीन कण) डेवलप किए हैं, जो अंधेपन की बड़ी वजह मोतियाबिंद को रोकने के लैब टेस्ट में सफल साबित हुए हैं।

बिना ऑपरेशन मोतियाबिंद का इलाज – Cataract Treatment without Surgery in India

बिना ऑपरेशन मोतियाबिंद का इलाज – Cataract Treatment without Surgery in India: फिलहाल, मोतियाबिंद का इलाज सर्जरी ही है। देश में एस्पिरिन से नैनोरोड्स डेवलप करने का यह पहला मामला है। अगर आगे सारे टेस्ट कामयाब रहे तो 2023 तक इसकी दवा आईड्राॅप के रूप में बाजार में आ जाएगी। मोतियाबिंद में आंखों को धुंधला करने वाले मटेरियल को निकाल दिया जाता है और जरूरत पड़ने पर आंखों के प्राकृतिक लेंस को बदलकर नए कृत्रिम लेंस लगा दिए जाते हैं।

देश में 1.2 करोड़ लोग दृष्टिहीन हैं

देश में करीब 1.2 करोड़ लोग दृष्टिहीन हैं। इनमें से 66.2% दृष्टिहीनता मोतियाबिंद के कारण ही है। देश में हर साल इसके 20 लाख नए केस आते हैं। इस शोध टीम की प्रमुख डॉ. जीबन ज्योति पांडा ने बताया कि उम्र बढ़ने से, म्यूटेशन से या अल्ट्रावॉयलेट रेज के आंखों पर सीधे पड़ने के कारण आंखों में लैंस बनाने वाले क्रिस्टलीय प्रोटीन की संरचना बिगड़ जाती है।

इसके कारण अव्यवस्थित प्रोटीन जमा होकर एक नीली या भूरी परत बनाते हैं, जिससे लेंस की पारदर्शिता खत्म होती जाती है। इसे ही मोतियाबिंद कहते हैं। मोतियाबिंद होने पर दिखाई देना बंद हो जाता है। एस्पिरिन के नैनोरोड्स आंखों के क्रिस्टलीय प्रोटीन व उसके विखंडन से बनने वाले पेप्टाइड्स को जमा होने से रोकता है, जो मोतियाबिंद की अहम वजह है।

लैब में आंखों का लैंस बनाने वाले मॉडल प्रोटीन व मॉडल पेप्टाइड तैयार किए गए और एस्पिरिन के नैनोरोड्स के इस्तेमाल से पाया गया कि पेप्टाइड से बनने वाली संरचना को बनने से रोकता है। प्रयोग में दो किस्म के नतीजे सामने आए। पहला- यह इकट्ठा हुए प्रोटीन को तोड़ देता है। दूसरा- यह नया प्रोटीन बनने नहीं देता। यानी साधारण भाषा में कहें तो मोतियाबिंद बन चुका है तो वह घुल जाएगा और नया मोतियाबिंद होने की संभावना को खत्म करेगा।

एस्पिरिन की सेफ्टी प्रोफाइल पता थी, क्लीनिकल ट्रायल में भी आसानी होगी

डॉ. पांडा ने बताया कि लैब परीक्षण एस्पिरिन का रिपर्पजिंग का प्रयोग था, जो सफल रहा है। किसी नए मॉलिक्यूल को चुनने पर बहुत लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता, लेकिन एस्पिरिन पहले से ही इस्तेमाल की जा रही है, इसलिए इसका सेफ्टी प्रोफाइल हमें पता है। क्लिनिकल ट्रायल की इजाजत में भी आसानी होगी।

Leave a Comment