संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया। दोनों सदनों में SIR और वोट चोरी के आरोप के मुद्दे पर हंगामा हुआ। विपक्ष चर्चा के लिए अड़ा है। इस बीच संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा को बताया कि सरकार SIR और चुनावी सुधारों पर चर्चा के लिए तैयार है। विपक्ष से अपील कि वह इस पर कोई समय सीमा न थोपें।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर सरकार सदन में वंदे मातरम् पर 10 घंटे चर्चा करा सकती है। यह बहस गुरुवार-शुक्रवार को हो सकती है। पीएम मोदी खुद इसमें हिस्सा ले सकते हैं।
30 सितंबर को राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में सत्तारूढ़ दल के कई सदस्यों ने इस चर्चा का प्रस्ताव रखा था। अब तक ऑफिशियल बयान नहीं आया है।
आज सदन की कार्यवाही से पहले पीएम मोदी ने संसद के बाहर मीडिया से 10 मिनट बात की। उन्होंने कहा, ‘यह सत्र पराजय की हताशा या विजय के अहंकार का मैदान नहीं बनना चाहिए। नई पीढ़ी के सदस्यों को अनुभव का लाभ मिलना चाहिए। यहां ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए। यहां जोर नीति पर होना चाहिए, नारों पर नहीं।’
PM ने इसके बाद राज्यसभा में नए सभापति सीपी राधाकृष्णन का स्वागत किया और उनके अभिवादन में स्पीच दी। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति का अभिवादन किया। खड़गे ने इस दौरान पूर्व सभापति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर सवाल उठाया।
उन्होंने कहा- मुझे इस बात का दुख है कि सदन को पूर्व सभापति को फेयरवेल देने का मौका नहीं मिला। खड़गे की टिप्पणी पर भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने पलटवार किया। नड्डा ने कहा- आपको बिहार, हरियाणा, महाराष्ट्र की हार ने काफी तकलीफ पहुंचाई है। आपको अपनी तकलीफ डॉक्टर को बताना चाहिए।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा को बताया कि सरकार SIR और चुनावी सुधारों पर चर्चा के लिए तैयार है, और विपक्ष की बहस की मांग पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने विपक्ष से अपील कि वे इस पर कोई समयसीमा न थोपें।
उन्होंने कहा, कल सर्वदलीय बैठक में या आज विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए किसी भी मुद्दे को कोई नजरअंदाज नहीं कर रहा है। यह सरकार के विचाराधीन है। यदि आप यह शर्त रखते हैं कि इसे आज ही उठाना होगा, तो यह कठिन हो जाता है, क्योंकि आपको थोड़ी गुंजाइश देनी चाहिए। SIR या चुनावी सुधार से जुड़ा मामला हो। आपने जो मांग रखी है उसे खारिज नहीं किया गया है। यह मत मानिए कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है।
कांग्रेस सांसद प्रियंका वाड्रा ने X पोस्ट में लिखा- हमारी ASHA बहनें अपने हक के लिए लड़ रही हैं। उन्हें परमानेंट एम्पलॉई के तौर पर पहचान मिलना चाहिए। वे ग्रामीण हेल्थकेयर सिस्टम की रीढ़ हैं। फ्रंटलाइन वर्कर हैं जो लाखों भारतीयों की सेवा करने के लिए हर मुश्किल का सामना करती हैं।
प्रियंका ने कहा कि उनके काम का दायरा बहुत बड़ा है और उनसे लंबे समय तक काम करने की उम्मीद की जाती है, इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी की सरकार उन्हें सही एम्पलॉई मानने से इनकार करती है।
उन्होंने कहा कि पार्लियामेंट में मेरे इस सवाल के जवाब में कि क्या केंद्र ASHA वर्कर्स को फॉर्मल एम्प्लॉई के तौर पर पहचान देने और उन्हें सोशल सिक्योरिटी देने का प्लान बना रहा है, सरकार ने बस यही दोहराया कि वे ‘वॉलंटियर’ हैं। यह बहुत बड़ा अन्याय है। ASHA वर्कर हफ्ते में 40 घंटे से ज्यादा समाज की सेवा करती हैं और उन्हें सिर्फ इतना मानदेय मिलता है जो मिनिमम वेज से बहुत कम है। भारत की महिलाएं इससे ज्यादा सम्मान की हकदार हैं। मैं सरकार से ASHA वर्कर्स को रेगुलर करने और उन्हें वह सम्मान और इज्जत दिलाने की गुजारिश करती हूं, जो उनका हक है।

