यमुना नदी के 33 में से 23 साइट्स वाटर क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गए हैं। यहां पानी में ऑक्सीजन की मात्रा लगभग जीरो पाई गई है। वाटर रिसोर्स पर बनाई गई पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने यह जानकारी दी है।
स्टैंडिंग कमेटी ने मंगलवार (11 मार्च) को यह रिपोर्ट संसद में पेश की है। 33 साइट्स की मॉनिटरिंग के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें दिल्ली के भी 6 साइट्स शामिल हैं।
पैनल के मुताबिक 23 साइट्स की रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात सामने आई है। इन जगहों पर पानी में घुलित ऑक्सीजन (Dissolved Oxygen) का स्तर जीरो पाया गया है। घुलित ऑक्सीजन नदी के जीवन को बनाए रखने की क्षमता को दर्शाता है।
दिल्ली में ऊपरी यमुना नदी सफाई परियोजना और नदी तल प्रबंधन पर अपनी रिपोर्ट में पैनल ने चेतावनी दी कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) के निर्माण और अपग्रेडेशन के बावजूद प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से ऊंचा बना हुआ है।
जनवरी 2021 से मई 2023 के बीच हुई जांच
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ जनवरी 2021 से मई 2023 के बीच 33 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता का आकलन किया। इसे घुलित ऑक्सीजन (DO), पीएच, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) और फेकल कोलीफॉर्म (FC) के चार प्रमुख पैरामीटर पर जांचा गया।
उत्तराखंड-हिमाचल में स्थिति बेहतर
रिपोर्ट के मुताबिक 33 मॉनिटरिंग साइट्स में से उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के 4 – 4 साइट्स जल गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करते हैं। हरियाणा में सभी छह साइटें विफल रहीं। दिल्ली में 7 साइटों में से कोई भी 2021 में मानकों का अनुपालन नहीं करती है, हालांकि पल्ला साइट में 2022 और 2023 में सुधार दिखा था।
यमुना के तल में जमा मलबा बड़ी चिंता
यमुना नदी के तल में जमा हुआ मलबा एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। दिल्ली सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा सीएसआईआर-नीरी के सहयोग से एक स्टडी की गई।
इसमें मानसून-पूर्व अवधि के दौरान पुराने लोहे के पुल, गीता कॉलोनी और डीएनडी पुल के ऊपर की ओर जैसे प्रमुख स्थलों से कीचड़ के सैंपल कलेक्ट किए गए। नमूनों में क्रोमियम, तांबा, सीसा, निकल और जस्ता जैसी भारी धातुओं के उच्च स्तर पाए गए।

