देश के सात पूर्व जजों ने सोमवार (3 जून) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ओपन लेटर लिखा है। पूर्व जजों ने उनसे अपील की कि अगर 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों में पार्लियामेंट हंग होती है, तो लोकतांत्रिक नियमों का पालन कराएं और चुनावों से पहले का जो भी गठबंधन चुनाव में सबसे बड़ा रहा हो, उसे सरकार बनाने का निमंत्रण दें, ताकि हॉर्स ट्रेडिंग रोकी जा सके।
पूर्व जजों ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और चीफ इलेक्शन कमिश्नर से भी आग्रह किया कि अगर मौजूदा सत्ताधारी पार्टी चुनाव हार जाती है तो आसान तरीके से सत्ता परिवर्तन करके संविधान को बरकरार रखा जाए।
इन पूर्व जजों ने कहा कि वे चिंतित हैं कि अगर मौजूदा सत्ताधारी पार्टी चुनाव हार जाती है, तो सत्ता का ट्रांसफर आसान नहीं होगा। ऐसे में संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है।
इस पत्र को मद्रास हाईकोर्ट के 6 पूर्व जजों- जीएम अकबर अली, अरुणा जगदीशन, डी हरिपरंथमन, पीआर शिवकुमार, सीटी सेल्वम, एस विमला और एक पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज अंजना प्रकाश ने लिखा है।
पूर्व सिविल सर्वेन्ट्स के कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप (CCG) के 25 मई को दिए गए बयान पर सहमति जताते हुए पूर्व जजों ने कहा कि हम भी मानते हैं कि पार्लियामेंट हंग होने की दिशा में पूरी जिम्मेदारी राष्ट्रपति के कंधों पर आ जाएगी।
हमें यकीन है कि वे तय की गई संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए उस चुनाव पूर्व गठबंधन को सरकार बनाने का आमंत्रण देंगी, जिसे सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं। हमें यकीन है कि वे हॉर्स ट्रेडिंग की संभावना को रोकेंगीं।
पूर्व जज बोले- हम संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध
पूर्व जजों ने कहा कि हम किसी पार्टी से नहीं जुड़े हैं, लेकिन संविधान में निहित मूल्यों और चुनावी लोकतंत्र के मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर फिलहाल जो भी हो रहा है, उसके चलते हम आक्रोश महसूस कर रहे हैं और इसलिए यह पत्र लिख रहे हैं।
पत्र में पूर्व जजों ने लिखा कि बीते कुछ हफ्तों में हुई कुछ चीजों ने एक ही कहानी पेश की है- जिसका अंत हिंसा के साथ हो सकता है। ये वाजिब चिंता बड़ी संख्या में लोगों के मन में है। कई सामाजिक और मानवाधिकार संस्थाएं भी यह चिंता जता चुकी हैं।
वोट काउंटिंग से पहले गृह मंत्री द्वारा 150 कलेक्टर्स को फोन पर धमकाने के दावे मामले में कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने लगातार दूसरे दिन चुनाव आयोग को सबूत नहीं सौंपे। डेडलाइन शाम 7 बजे खत्म हो गई।
जयराम ने 7 दिन का वक्त मांगा था। इसे चुनाव आयोग ने ठुकरा दिया। इससे पहले रविवार को इलेक्शन कमीशन ने जयराम के दावे का संज्ञान लिया था। EC ने पत्र लिखकर कहा था कि वे अपने दावे से जुड़ी डिटेल शाम 7 बजे तक शेयर करें। लेकिन कांग्रेस नेता ने तब भी जवाब नहीं दिया था।

