पुणे पोर्श एक्सीडेंट के 42 दिन बाद नाबालिग आरोपी ने रोड एक्सीडेंट पर 300 शब्दों का निबंध लिखकर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को सबमिट किया है। 18-19 मई की रात हादसे के बाद जुवेनाइल बाद जुवेनाइल बोर्ड ने आरोपी को 300 शब्दों का निबंध लिखने सहित कुल 7 शर्तों पर जमानत दी थी।
हालांकि, पुलिस की मांग और लोगों के आक्रोश के बाद जुवेनाइल बोर्ड ने अपने फैसले में संशोधन किया था। 22 मई को बोर्ड ने आरोपी को बाल सुधार गृह में भेजने का आदेश दिया था। हालांकि, 25 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग आरोपी को जमानत दे दी।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा था कि आरोपी पर जुवेनाइल बोर्ड के आदेश की सभी शर्तें लागू रहेंगी। बाल सुधार गृह से निकलने के बाद नाबालिग ने 3 जुलाई को निबंध लिखने की एक शर्त पूरी की।
द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि नाबालिग बाकी की शर्तों को भी पूरा करेगा। इनमें साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग और ट्रैफिक रूल्स समझने के लिए रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस में काम करना शामिल हैं।
नाबालिग 15 दिनों के भीतर जुवेनाइल बोर्ड को रिपोर्ट सौंपेगा
सूत्रों के मुताबिक, जुवेनाइल बोर्ड के आदेश के अनुसार नाबालिग ससून अस्पताल में डॉक्टरों से साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग ले रहा है। उसकी चाची ने ससून अस्पताल से संपर्क किया था। अस्पताल के अधिकारियों ने इस संबंध में जुवेनाइल बोर्ड से निर्देश मांगे थे।
नाबालिग के वकील ने जुवेनाइल बोर्ड में एक आवेदन दायर कर ससून अस्पताल को निर्देश देने की मांग की है। RTO से भी संपर्क किया गया है। जुवेनाइल बोर्ड ने RTO अधिकारियों को नाबालिग के साथ कोऑर्डिनेट करने का निर्देश दिया है। नाबालिग आरोपी RTO ऑफिस में ट्रैफिक रूल्स के नियम-कानून की स्टडी के बाद जुवेनाइल बोर्ड को 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेगा।
पोर्श हादसे में युवक-युवती की जान गई थी
पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 18-19 मई की रात 17 साल 8 महीने के नाबालिग आरोपी ने बाइक सवार सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स युवक-युवती को टक्कर मारी थी, जिससे दोनों की मौत हो गई। घटना के समय आरोपी नशे में था। वह 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कार चला रहा था।
आरोपी को हादसे के बाद हिरासत में लिया गया था, लेकिन जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने उसे 15 घंटे बाद ही जमानत दे दी थी। जमानत की शर्तों के तहत उसे सड़क दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का निबंध लिखने, ट्रैफिक पुलिस के साथ कुछ दिन काम करने और 7,500 रुपए के दो बेल बॉन्ड भरने को कहा गया था।
- हाईकोर्ट ने कहा- आरोपी की उम्र 18 साल से कम, उसे ध्यान में रखना जरूरी
आरोपी लड़के की जमानत को लेकर उसकी आंटी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में रिहाई की याचिका लगाई थी। इस याचिका में कहा गया था कि लड़के को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है। उसे तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।
जस्टिस भारती डांगरे और मंजुशा देशपांडे ने आरोपी को ऑब्जर्वेशन होम भेजने के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के आदेश को रद्द कर दिया था। बेंच ने यह भी नोट किया कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का आदेश अवैध था और बिना जुरिस्डिक्शन के जारी किया गया था। एक्सीडेंट को लेकर रिएक्शन और लोगों के गुस्से के बीच आरोपी नाबालिग की उम्र पर ध्यान नहीं दिया गया। CCL 18 साल से कम उम्र का है, उसकी उम्र को ध्यान में रखना जरूरी है।

