अहमदाबाद प्लेन क्रैश में जान गंवाने वाले यात्रियों के परिजन को एअर इंडिया मुआवजा देने से बचना चाहती है। यह आरोप 40 से ज्यादा पीड़ित परिवारों का केस लड़ने वाली ब्रिटेन की कानूनी फर्म स्टीवर्ट्स ने लगाए हैं।
स्टीवर्ट्स 40 से ज्यादा पीड़ित परिवारों का केस लड़ रही है। फर्म के एडवोकेट पीटर नीनन ने कहा है कि एअर इंडिया ने मुआवजा देने से पहले परिवारों से कानूनी रूप से संवेदनशील वित्तीय जानकारी मांगी, जिससे उनका हक कम हो सकता है। उधर, एअर इंडिया ने आरोपों को नकार दिया है।
नीनन ने कहा कि एअर इंडिया पीड़ित परिवारों के साथ अनैतिक और अपमानजनक व्यवहार कर रही है। एअर इंडिया इस तरह से व्यवहार कर लगभग 1,050 करोड़ रुपए बचाने की कोशिश कर सकती है। उन्होंने मामले की जांच की मांग भी की है। वहीं, उन्होंने अपने क्लाइंट्स को सलाह दी है कि वे फॉर्म न भरें और मुआवजा पाने के लिए कानूनी रास्ता अपनाएं।
अहमदाबाद में एअर इंडिया का प्लेन क्रैश 12 जून को हुआ था। उस वक्त विमान में 242 लोग सवार थे। इनमें एक यात्री की जान बच गई थी। इसके अलावा, जिस मेडिकल हॉस्टल पर विमान गिरा था, वहां 29 लोगों की जान गई थी। इस तरह इस हादसे में 270 लोगों की जान गई थी।
नीनन ने आरोप लगाया, ‘न तो किसी परिजन को पहले से कोई सूचना दी गई, न ही उन्हें कानूनी सलाह मिली और न ही इन दस्तावेजों की कोई कॉपी दी गई। एअर इंडिया के अधिकारियों ने कुछ परिजन पर फॉर्म भरने का दबाब डाला और उनके घर जाकर पूछने लगे कि फॉर्म क्यों नहीं भरे गए।
‘परिजन से कहा गया कि जब तक वे फॉर्म नहीं भरते, उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। जबकि अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक, एयरलाइन को पहचान और रसीद पर हस्ताक्षर के बाद तत्काल अंतरिम मुआवजा देना होता है, किसी फॉर्म की जरूरत नहीं होती।’

