रात की पार्टियों में नहीं जाना, रेप-गैंगरेप हो सकता है… दोस्तों के साथ अंधेरे, सुनसान इलाकों में न जाएं। सामूहिक बलात्कार हो सकता है… ये विवादास्पद शब्द लिखे पोस्टर्स शुक्रवार की सुबह अहमदाबाद की सड़कों पर नजर आए थे। हालांकि, विवाद होने पर कुछ देर बाद ही ये हटा दिए गए थे।
ट्रैफिक पुलिस ने दी सफाई
विवाद के बाद डीसीपी ट्रैफिक सफीन हसन ने कहा कि इन पोस्टर्स से अहमदाबाद शहर पुलिस को कोई लेना-देना नहीं है। ट्रैफिक पुलिस द्वारा एक एनजीओ को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक करने के पोस्टर्स लगाने की अनुमति है। एनजीओ को सिर्फ रोड सेफ्टी के बैनर और पोस्टर लगाने की स्वीकृति थी, लेकिन महिला सुरक्षा को लेकर ऐसे पोस्टर्स लगाए जाना पूरी तरह से गलत हैं।
डीसीपी सफीन हसन के मुताबिक, इस मुद्दे पर पुलिस आयुक्त जीएस मलिक ने कड़ा संज्ञान लिया है। सोला पुलिस थाने में इस संबंध में शिकायत भी दर्ज की गई। इसमें जांच की जाएगी कि एनजीओ ने किसकी परमिशन के बाद ये पोस्टर्स को अहमदाबाद की सड़कों पर लगाए थे।
राजनीतिक दलों ने भी सरकार को घेरा
आम आदमी पार्टी AAP के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. करण बारोट ने मीडिया से कहा- अहमदाबाद जब देश का सबसे सुरक्षित शहर है तो फिर इस तरह के पोस्टर क्यों लगाए गए? क्या सरकार लोगों को सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकती है?
वहीं, गुजरात कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा ने एक्स पर लिखा- राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के अधीन गृह विभाग और पुलिस, की अनुमति से गुजरात की बेटियों का सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जा रहा है। अपनी नाकामी स्वीकार कर रहे हैं कि गुजरात में बेटियां सुरक्षित नहीं हैं।
शर्म आनी चाहिए। देर रात तक अकेले गरबा खेलने और बेखौफ घर आने पर गर्व करने वाली गुजरात सरकार अब पुलिस को यह बताकर पूरे गुजरात में पोस्टर लगवा रही है कि गुजरात में बेटियों की सुरक्षा नहीं है, आपको खुद उनकी सुरक्षा करनी होगी।

