अतुल्य लोकतंत्र के लिए बलजीत सिंह बेनाम जी की कलम से ….
बलजीत सिंह बेनाम ग़ज़ल ग़ज़ल•
ग़मगुसारों की और दुनिया है ।
ग़म से हारों की और दुनिया है।।
सुर्ख़ सूरज के हैं मिजाज़ अलग ।
चाँद तारों की और दुनिया है ।।
जाने क्या ज़ख्म देने वाले ये ।
अश्कबारों की और दुनिया है ।।
भीड़ से तू अलग मक़ाम बना ।
बहते धारों की और दुनिया है।।
सब परिंदे बख़ूबी वाकिफ़ हैं।
ख़ुश्क ड़ारों की और दुनिया है।।