भाजपा ने रायबरेली से दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिया है। योगी सरकार में मंत्री दिनेश प्रताप ने 2019 में सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। 6 साल पहले यानी 2018 में दिनेश प्रताप ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन की थी। टिकट मिलने के बाद दिनेश प्रताप ने कहा-भाजपा ने मुझ पर जो भरोसा जताया है, उसे मैं टूटने नहीं दूंगा।
रायबरेली सीट पर कल शुक्रवार को नामांकन का आखिरी दिन है। कांग्रेस ने अब तक यहां प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया। भाजपा यूपी में 74 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। सभी सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है। 6 सीटें सहयोगी दलों को दी है।
2010 में पहली बार MLC बने दिनेश सिंह
दिनेश सिंह ने कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत की थी। 2010 में पहली बार और 2016 में दूसरी बार MLC बने। 2018 में भाजपा जॉइन की। 2019 में भाजपा ने उन्हें सोनिया के खिलाफ उतारा था। इस चुनाव में वह 1.67 लाख वोट से हारे थे। 2022 में भाजपा से फिर MLC बने।
दिनेश सिंह अभी योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार मंत्री हैं। उद्यान कृषि, कृषि निर्यात जैसे विभाग हैं। दिनेश प्रताप ठाकुर बिरादरी से आते हैं। यूपी में नाराज ठाकुर बिरादरी को मनाने के लिए दिनेश प्रताप को टिकट दिया।
गांधी परिवार के करीबी थे दिनेश प्रताप
दिनेश का परिवार रायबरेली में रहता है। एक दशक से रायबरेली की राजनीति के केंद्र में हैं। 2018 तक दिनेश सिंह सोनिया-राहुल से लेकर प्रियंका के करीबी रहे हैं। रायबरेली में सोनिया गांधी के चुनाव की रणनीति वही तैयार करते रहे हैं।
दिनेश की सियासी ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो खुद MLC हैं। उनके भाई अवधेश प्रताप सिंह रायबरेली के जिला पंचायत अध्यक्ष रहे हैं। दूसरे भाई राकेश सिंह रायबरेली की हरचंदपुर विधानसभा से विधायक हैं। रायबरेली के ज्यादातर गांव प्रधान भी दिनेश के करीबी हैं।
BJP ने क्यों दिनेश को रायबरेली से उतारा
1-दिनेश खुद सोनिया गांधी के करीबी रहे हैं। ऐसे में रायबरेली में गांधी परिवार को मिलने वाले सहानुभूति को वह कुछ हद तक ब्रेक कर सकते हैं।
2-रायबरेली में सबसे ज्यादा 34% दलित वोटर्स हैं। 11% ब्राह्मण और 9% ठाकुर हैं। दिनेश प्रताप खुद ठाकुर समुदाय से हैं।
3-वह 3 बार से MLC हैं। अभी योगी सरकार में मंत्री हैं। उनका रायबरेली और आसपास के क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है।