कैश मामले में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद आदेश जारी किया गया है। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश दिया गया है कि जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक काम न सौंपा जाए।
इससे पहले जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का वहां की बार काउंसिल ने विरोध किया था। वकीलों ने हड़ताल भी शुरू की थी। हाईकोर्ट के 6 बार काउंसिल ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और कॉलेजियम के सदस्यों से मिलकर ट्रांसफर पर पुनर्विचार करने की मांग की थी।
इधर, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा पर FIR दर्ज करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा मामले में सुप्रीम कोर्ट की इंटरनल कमेटी जांच कर रही है। रिपोर्ट में कुछ गड़बड़ मिला तो FIR होगी या मामला संसद को भेजा जाएगा।
जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में 14 मार्च को आग लग गई थी। आग बुझाने पहुंची फायर सर्विस टीम को उनके स्टोर रूम में बोरियों में भरे 500-500 रुपए के अधजले नोट मिले थे। तब से ही यह पूरा मामला सुर्खियों में बना हुआ है।
34 साल पुराने फैसले को चुनौती दी गई
जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR की मांग को लेकर एडवोकेट मैथ्यूज जे नेदुम्परा और तीन अन्य ने याचिका दायर की थी। याचिका में 34 साल पुराने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को भी चुनौती दी गई थी।
1991 में के वीरस्वामी केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि CJI की परमिशन के बिना हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी जज के खिलाफ कोई क्रिमिनल केस शुरू नहीं किया जा सकता।
उधर जस्टिस यशवंत वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट के एडमिनिस्ट्रेटिव पैनल से हटा दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 26 मार्च को हाईकोर्ट में प्रशासनिक कामों से जुड़ी कमेटियों का पुर्नगठन किया गया था। इसमें जस्टिस वर्मा को शामिल नहीं किया गया।
जस्टिस वर्मा की जांच कमेटी के सामने इसी हफ्ते पेशी संभव
सुप्रीम कोर्ट की बनाई इन-हाउस कमेटी के सामने जस्टिस यशवंत वर्मा की पेशी इसी हफ्ते हो सकती है। समिति के समक्ष पेश होने से पहले बुधवार को सीनियर वकीलों से मुलाकात की। इनमें एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल, अरुंधति काटजू, तारा नरूला, स्तुति गुर्जर और एक अन्य जस्टिस वर्मा के घर पहुंचे।
वकीलों ने जांच समिति के सामने दिए जाने वाले जवाबों को फाइनल करने में मदद की। दरअसल, जस्टिस वर्मा अपना फाइनल जवाब तैयार कर रहे हैं, यही आगे की कार्रवाई का आधार बनेगा।

