UP के बरेली में 45 साल के प्रभात कुमार दोस्त के बर्थडे पर डांस कर रहे थे। अचानक डांस करते-करते ही वह बेहोश होकर फ्लोर पर गिर पड़े। दोस्त उनको हॉस्पिटल ले गए। जहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया।
वहीं, मैनपुरी में गणेश उत्सव चल रहा था। यहां स्टेज पर 35 साल के रवि शर्मा हनुमान के रोल में थे। वह डांस करते-करते बेहोश होकर गिर गए और उठे ही नहीं। उनको भी तुरंत अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया।
यूपी में यह दो घटनाएं बीते आठ दिनों की हैं। इनके वीडियो भी वायरल हुए हैं, जिन्हें देखकर लोगों का एक ही सवाल है कि आखिर ऐसे कैसे हो गया? डांस करते-करते अच्छा-खासा आदमी कैसे मर गया?
भास्कर ने एक्सपर्ट से इनके जवाब जानने की कोशिश की। मैनपुरी और बरेली के केस में एग्जेक्ट क्या हुआ है, यह कह पाना तो मुश्किल है। लेकिन, एक्सपर्ट का कहना है कि पहली नजर से देखने में यह हार्ट में इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट जैसे मामले की तरह है। वह कहते हैं कि पोस्ट कोविड के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामले बढ़ रहे हैं। सिर्फ भारत नहीं, बल्कि अमेरिका और यूरोप में भी ऐसा ही ट्रेंड बढ़ रहा है।
लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. भुवन चंद्र तिवारी ने बताया, ‘शादी में डांस करते वक्त, स्टेज पर परफॉर्मेंस देने के समय या फिर जिम में एक्सरसाइज करने के समय जान चली जा रही है। इसके पीछे बड़ा कारण पहले से ही हार्ट की किसी समस्या से ग्रस्त होना हो सकता है। हालांकि, ऐसा हर मामले में हो, यह भी जरूरी नहीं है।’
ज्यादा एक्साइटमेंट से हो सकता हैं कार्डियक अरेस्ट
डॉ. भुवन कहते हैं, ‘कार्डियक अरेस्ट किसी नॉर्मल इंसान को आ सकता है। कई बार ज्यादा एक्साइटमेंट होने के कारण ‘एड एनर्जी ड्राइव’ बढ़ जाती है। हार्ट कोलैप्स कर जाता है। हार्ट के मसल स्ट्रांग होने के कारण ‘एड एनर्जी ड्राइव’ के दौरान उनके मसल में सिकुड़न ज्यादा होने के केस भी सामने आए हैं। ऐसे समय में हार्ट का रिदम बिगड़ जाता है और कार्डियक अरेस्ट से अचानक मौत भी हो जाती है।’
अब जानिए हार्ट में क्यों होता है इलेक्ट्रिकल शॉर्ट सर्किट?
हार्ट में कंडक्शन सिस्टम होता है, जिसमें इलेक्ट्रिकल करंट एक जगह से दूसरे जगह तक फ्लो करता है। इसकी वजह से हार्ट में सिकुड़न होती है और नॉर्मल सीक्वेंस में हार्ट बीट करता है। नॉर्मल हृदय गति एक मिनट में 72 बार धड़कने की है। मगर, जब यह रेट 200-250 या 300 बीट प्रति मिनट हो जाती है, तो हार्ट इफेक्टिव तरीके से ब्लड पंप नहीं कर पाता है। ब्रेन में सप्लाई न पहुंचने के कारण मौत हो जाती है।
लाइफ स्टाइल में आए चेंज से बढ़ रहे कार्डियक अरेस्ट
SGPGI के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड प्रो.आदित्य कपूर ने बताया, ‘यह बात सही है कि हाल के दिनों में कार्डियक अरेस्ट के मामलों में तेजी आई है। पहले 2015-16 के दौर में भारत में सालाना 7 लाख कार्डियक अरेस्ट के मामले रिपोर्ट होते थे, पर अब इनका प्रोजेक्शन करीब 12 लाख हो गया है। एक और चिंता का विषय यह भी है कि इंडिया में कार्डियक अरेस्ट के केस में सर्वाइवल रेट महज 1% के करीब हैं। हमें क्यूरेटिव मेजर्स के अलावा प्रीवेंटिव मेजर्स पर भी ध्यान देने के जरूरत है।’
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