हमास ने 7 अक्टूबर को इजराइल पर 5 हजार रॉकेट से अचानक हमला बोल दिया। हमास का कहना है कि इजराइल अल-अक्सा मस्जिद को अपवित्र कर रहा है। इसी वजह से हमास ने इस ऑपरेशन को अल-अक्सा फ्लड नाम दिया।
हमास ने भले ही इस मस्जिद को जंग की वजह बताया हो, लेकिन असल में कहानी कुछ और है। हमास के इस हमले की स्क्रिप्ट 8 महीने पहले ही लिख दी गई थी। इसमें अमेरिका, चीन, सऊदी अरब, ईरान और खुद इजराइल अहम किरदार हैं।
7 अक्टूबर को इजराइल पर हमले के बाद ये बात हमास के प्रवक्ता गाजी हामद ने कही। उनका इशारा सऊदी की तरफ था। हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि सऊदी भी इजराइल को देश के तौर पर मान्यता दे सकता है। सऊदी और इजराइल के बीच ये करार अमेरिका की मध्यस्थता से होना था।
दरअसल, अमेरिका मिडिल ईस्ट में चीन के बढ़ते असर को काउंटर करना चाहता था। इसके लिए उसने सऊदी और इजराइल को फोकस में रखा। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक प्लान सऊदी और इजराइल की नजदीकियां बढ़ाना था, ताकि ईरान और सऊदी के बीच हुआ समझौता इतना मजबूत न हो जाए कि इससे मिडिल ईस्ट में अमेरिका की पॉलिसी को नुकसान पहुंचने लगे।
इसके बाद वॉशिंगटन में अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) जैक सुलिवन और मोसाद चीफ डेविन बार्निया के बीच लंबी बातचीत हुई। इस बातचीत में सिर्फ यह डिस्कस किया गया कि सऊदी अरब और इजराइल के डिप्लोमैटिक रिलेशन कैसे और कितने जल्द शुरू कराए जा सकते हैं।
27 जुलाई को वॉशिंगटन पोस्ट ने एक रिपोर्ट में बताया था कि अमेरिकी NSA जैक सुलिवन अचानक सऊदी अरब पहुंचे हैं। उन्होंने राजधानी रियाद में सऊदी क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान (MBS) से मुलाकात की है। दोनों के बीच चार राउंड बातचीत हुई। इस मीटिंग में सऊदी के तमाम टॉप ऑफिशियल्स भी मौजूद थे।
अमेरिकी न्यूज वेबसाइट एक्सिओस के मुताबिक इस मीटिंग का सिर्फ एक एजेंडा था कि सऊदी अरब को अब्राहम अकॉर्ड में शामिल किया जाए। इसी अकॉर्ड के तहत UAE और बहरीन समेत चार गल्फ कंट्रीज ने इजराइल को मान्यता दी थी और अब इन देशों को इजराइल की तरफ से बेहतरीन टेक्नोलॉजी और हथियार तक मिल रहे हैं। इजराइल और इन देशों के बीच ट्रेड रिलेशन भी काफी मजबूत हुए हैं।
बाद में व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा- हम चाहते हैं कि सऊदी अरब इजराइल को मान्यता दे। इसके लिए हर मुमकिन कोशिश जारी है। प्रेसिडेंट बाइडेन भी यही बात कह चुके हैं। इजराइल के लिए सऊदी और सऊदी के लिए इजराइल अब जरूरी हो चुके हैं। अगस्त में कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये खबरें आने लगीं कि अमेरिका सऊदी अरब और इजराइल में समझौता करवाने की कोशिश कर रहा है।
हमास ने हमला किया ईरान पर आरोप लगे
अमेरिका सऊदी और इजराइल के बीच कोई डील करा पाता, उससे पहले ही हमास ने अटैक कर दिया। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि ईरान अगस्त से ही हमास के साथ मिलकर इस हमले की प्लानिंग कर रहा था।
खास बात ये है कि ये वही समय है जब अमेरिका ने इजराइल और सऊदी के बीच रिश्ते सामान्य कराने की पहल की थी। इससे साफ जाहिर होता है कि अमेरिका और चीन ने मिडिल ईस्ट में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए जो समझौते करवाए, उसने ही हमास-इजराइल जंग की नींव रखी।

