केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने राज्य के दो CBSE स्कूलों में गुरु पूर्णिमा पर स्टूडेंट से सेवानिवृत्त शिक्षकों के पैर धुलवाने को निंदनीय और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि इस पर स्कूल प्रबंधन से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी घटनाओं को गंभीरता से ले रही है। शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को जागरूक और प्रगतिशील बनाना है। इस तरह की गतिविधियां हमारी शिक्षा प्रणाली के मूल उद्देश्यों को कमजोर करती हैं।
दरअसल कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया कि गुरु पूर्णिमा पर कासरगोड और मावेलिक्कारा में भारतीय विद्यानिकेतन प्रबंधन के दो CBSE स्कूलों में पद पूजा (पैर धोने) का अनुष्ठान हुआ था। इसके सामने आते ही विवाद बढ़ गया।
स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने भी कहा कि यह अनुष्ठान आरएसएस-नियंत्रित स्कूलों में किया गया था। बच्चों को सेवानिवृत्त शिक्षकों के पैर धोने के लिए मजबूर करना निंदनीय है।
राइट टू एजुकेशन एक्ट न मानने वाले स्कूलों पर कार्रवाई का अधिकार
शिक्षा एक ऐसा अधिकार है जिसके लिए उस समय से संघर्ष किया गया और जीता गया जब जाति व्यवस्था के नाम पर साक्षरता से वंचित रखा जाता था। इस अधिकार को किसी के पैरों तले नहीं रौंदा जाना चाहिए। शैक्षणिक संस्थानों में ऐसी गतिविधियों को दोबारा होने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
शिवनकुट्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि सामान्य शिक्षा विभाग को ऐसे किसी भी सिलेबस वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है जो शिक्षा के अधिकार अधिनियम और नियमों का पालन नहीं करते हैं।

