भारतीय वायुसेना के सौतेली मां को पेंशन लाभ देने से इनकार करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। कोर्ट ने कहा- पेंशन योजनाओं में ‘मां’ और ‘जैविक मां’ में अंतर नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा- हर मामले को उसके विशिष्ट तथ्यों के आधार पर देखा जाना चाहिए और यह तय किया जाना चाहिए कि बच्चे के जीवन में मां की भूमिका वास्तव में किसने निभाई।
मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह ने की। जस्टिस भुइयां ने कहा- पेंशन मामले में ‘मां का जैविक मां होना जरूरी नहीं है।
साल 2010 में वायुसेना ने अपीलकर्ता का विशेष पारिवारिक पेंशन का दावा खारिज किया था। मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी।
इस मामले का प्रभाव
गुप्ता के मुताबिक, दत्तक पुत्र, लिव इन और दूसरी पत्नी के कानूनी अधिकारों के बारे में अनेक फैसले हैं। सौतेली मां को जैविक मां के समान कानूनी अधिकार देने से सरकार की अन्य पेंशन योजनाओं के दायरे का विस्तार हो सकता है, लेकिन इसके लिए संसद और सरकार को पेंशन के साथ पारिवारिक और उत्तराधिकार के कई कानूनों में बदलाव करना होगा।

