प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की जमानत का विरोध किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ED ने अदालत में एफिडेविट फाइल किया। एजेंसी ने कहा कि प्रचार करना मौलिक अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट ED के डिप्टी डायरेक्टर भानु प्रिया ने दाखिल किया। कल यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल की जमानत पर फैसला सुनाएगी। दिल्ली शराब नीति केस में केजरीवाल अभी ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं। जमानत के लिए केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट गए हैं।
पिछली सुनवाई यानी 2 मई को सुप्रीम कोर्ट ने ED से कहा था कि चुनाव 5 साल में आते हैं, ये असाधारण परिस्थिति है। कोर्ट ने कहा था कि अगर हम केजरीवाल को जमानत देते हैं तो हमारी शर्त रहेगी कि वे सरकार के काम में दखलंदाजी नहीं करेंगे।
राउज एवेन्यू कोर्ट ने 20 मई तक बढ़ाई केजरीवाल की न्यायिक हिरासत
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 7 मई को केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक बढ़ा दी। इससे पहले कोर्ट ने 23 अप्रैल को अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 7 मई तक बढ़ाई थी। 21 मार्च को केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद 22 मार्च को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी हुई, जहां से उन्हें 28 मार्च तक ED की रिमांड पर भेजा गया। 1 अप्रैल से वे तिहाड़ जेल में हैं।
7 मई की जमानत पर सुनवाई के दौरान कोर्ट के 4 कमेंट
- जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा- केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं हैं।
- यह एक अभूतपूर्व परिस्थिति है। लोकसभा चुनाव जारी हैं। वो दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री हैं।
- अगर चुनाव नहीं चल रहे होते तो अंतरिम जमानत का सवाल ही नहीं उठता था।
- चुनाव 5 साल में सिर्फ एक बार होते हैं।
इससे पहले 3 मई को हुई सुनवाई में दो घंटे की लंबी बहस के बाद बेंच ने कहा था कि मेन केस यानी जिसमें केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी है, इसमें समय लग सकता है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर विचार किया जा सकता है, ताकि वे कैंपेन में हिस्सा ले सकें।