दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का ट्रायल मंगलवार को हुआ। ट्रायल के 4 घंटे के अंदर कभी भी बारिश हो सकती है। इसके लिए कानपुर से स्पेशल विमान ‘सेसना’ ने उड़ान भरी थी। क्लाउड सीडिंग खेकड़ा, बुराड़ी, मयूर विहार और कई अन्य इलाकों में की गई।
दिल्ली में प्रदूषण को रोकने के लिए ऐसे कमर्शियल व्हीकल्स की एंट्री पर एक नवंबर से रोक लगा दी है, जो बीएस-6 (BS-VI) मानकों के अनुरूप नहीं हैं। कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने मंगलवार को आदेश जारी किया।
इस बीच दिल्ली की एयर क्वालिटी में सुधार आया है। मंगलवार सुबह AQI 306 से रिकॉर्ड किया गया। यह सोमवार को 315 से कम था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, इस गिरावट के बावजूद, एअर क्वालिटी अभी भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है।
क्लाउड सीडिंग के लिए DGCA ने पहले ही परमिशन दे दी थी। 23 अक्टूबर को राज्य सरकार ने राजधानी में पहली बार कृत्रिम बारिश का सफल टेस्ट किया था। दिवाली के बाद से लगातार एयर क्वालिटी में तेजी से गिरावट आई है। राजधानी की हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है।
दिल्ली सरकार का लक्ष्य है कि सर्दियों से पहले वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके, जब प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है। यह कोशिश एन्वायर्नमेंट एक्शन प्लान 2025 का हिस्सा है। ट्रायल से जो डेटा मिलेगा, वह भविष्य में क्लाउड सीडिंग को बड़े पैमाने पर लागू करने में मदद करेगा।
भारत में इससे पहले भी कई बार ऐसे क्लाउड सीडिंग हो चुकी हैं। भारत में 1983, 1987 में इसका पहली बार इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा तमिलनाडु सरकार ने 1993-94 में ऐसा किया गया था। इसे सूखे की समस्या को खत्म करने के लिए किया गया था। साल 2003 में कर्नाटक सरकार ने भी क्लाउड सीडिंग करवाई थी। इसके अलावा महाराष्ट्र में भी ऐसा किया जा चुका है।

