सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूजा स्थल कानून से जुड़ी 7 याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी। दरअसल इस केस की सुनवाई 2 जजों की बेंच में होनी थी। CJI संजीव खन्ना ने कहा कि आज सिर्फ 2 जजों की बेंच बैठी है। यह मामला किसी और दिन देखेंगे।
CJI ने इस मामले पर दाखिल इंटरवेंशन एप्लिकेशंस पर कहा कि आज हम ऐसी कोई याचिका नहीं स्वीकार करेंगे। इनकी भी एक सीमा होती है।
असदुद्दीन ओवैसी की याचिका जुड़ी
आज सुप्रीम कोर्ट को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर भी सुनवाई करनी थी। उनकी याचिका को पहले से पेंडिंग 6 याचिकाओं के साथ जोड़ा गया है।
ओवैसी ने याचिका में 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (पूजा स्थल कानून) को लागू करने की मांग है। कानून के मुताबिक, 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता।
प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (विशेष प्रावधानों) 1991 की 6 धाराओं की वैधता पर दाखिल याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने आखिरी बार 12 दिसंबर 2024 को सुनवाई की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- उचित होगा कि बाकी सभी अदालतें अपने हाथ रोक लें
सुप्रीम कोर्ट की 3 मेंबर वाली बेंच ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (विशेष प्रावधानों) 1991 की कुछ धाराओं की वैधता पर दाखिल याचिकाओं पर 12 दिसंबर को सुनवाई की थी।
बेंच ने कहा था, ‘हम इस कानून के दायरे, उसकी शक्तियों और ढांचे को जांच रहे हैं। ऐसे में यही उचित होगा कि बाकी सभी अदालतें अपने हाथ रोक लें।’
सुनवाई के दौरान CJI संजीव खन्ना ने कहा- हमारे सामने 2 मामले हैं, मथुरा की शाही ईदगाह और वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद। तभी अदालत को बताया गया कि देश में ऐसे 18 से ज्यादा मामले लंबित हैं। इनमें से 10 मस्जिदों से जुड़े हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से याचिकाओं पर 4 हफ्ते में अपना पक्ष रखने को कहा।
CJI संजीव खन्ना ने कहा- जब तक केंद्र जवाब नहीं दाखिल करता है हम सुनवाई नहीं कर सकते। हमारे अगले आदेश तक ऐसा कोई नया केस दाखिल ना किया जाए।

