मोरबी ब्रिज हादसे पर हाईकोर्ट सख्त: गुजरात सरकार से कहा- 4 की जगह 10 लाख रुपए होनी चाहिए मुआवजा राशि

मोरबी ब्रिज हादसे पर हाईकोर्ट सख्त: गुजरात सरकार से कहा- 4 की जगह 10 लाख रुपए होनी चाहिए मुआवजा राशि
मोरबी ब्रिज हादसे पर हाईकोर्ट सख्त: गुजरात सरकार से कहा- 4 की जगह 10 लाख रुपए होनी चाहिए मुआवजा राशि

गुरुवार को सुनवाई के गुजरात हाईकोर्ट ने मोरबी पुल हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को दिए गए मुआवजे पर नाखुशी जताई है। कोर्ट ने कहा कि पुल हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को काफी कम मुआवजा दिया गया है। अदालत ने कहा कि मुआवजा वाजिब होना चाहिए। 30 से 40 वर्ष की आयु के कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। मृतकों में कई लोग घर के अकेले कमाने वाला हो सकते हैं। इसलिए उसके परिवार को कम से कम 10 लाख मुआवजा दिया जाना चाहिए।

3000 में तो ड्रेस और किताबें भी नहीं आएंगी
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अनाथ हो गए बच्चों के लिए 3,000 रुपए प्रतिमाह कुछ भी नहीं है। इस राशि से तो बच्चे की ड्रेस और किताबें भी नहीं खरीदी जा सकती हैं। राज्य सरकार को यह मुआवजा राशि भी दोगुनी करनी चाहिए। बता दें, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से उन लोगों का पूरा विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा था, जो दुर्घटना के मृतकों पर निर्भर थे। नाराज हाईकोर्ट ने राज्‍य सरकार से विस्‍तृत मुआवजा नीति को लेकर जल्द से जल्द हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

सभी पुलों का सर्वेक्षण करने का दिया आदेश
हाईकोर्ट ने सरकार को ऐसा तंत्र विकसित करने का आदेश भी दिया है, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सभी पुलों का सर्वेक्षण करने का भी आदेश भी दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि सभी पुल सही हालात में हों। साथ ही सभी पुलों की सूची भी मांगी गई है, जिसमें यह उल्लेख किया जाए कि उनमें से कितने जर्जर और कितने ठीक स्थिति में हैं। मोरबी हादसे के बाद देश के विभिन्‍न क्षेत्रों और प्रदेशों से ऐसी खबरें सामने आई हैं, जिनमें पुल के जर्जर होने की बात सार्वजनिक हुई है।

ओरेवा ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई पर भी उठाए सवाल
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि ओरेवा ग्रुप के प्रबंधकों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए मोरबी नगर पालिका से पूछा… बिना किसी समझौते के औरेवा ग्रुप को साढ़े पांच साल तक पुल का इस्तेमाल करने की अनुमति क्यों दी?

मुहरबंद एसआईटी रिपोर्ट जमा करें- हाईकोर्ट
गुजरात हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि एसआईटी जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश की जाए। अगर एसआईटी की जांच उचित नहीं मानी गई तो हाईकोर्ट जांच किसी दूसरी एजेंसी को सौंप देगा।

मृतकों की जाति लिखने पर भी आपत्ति जताई
हाईकोर्ट ने पूछा कि मरने वालों के नाम के आगे उनकी जाति लिखने की क्या जरूरत थी? सभी मृत समान रूप से गिने जाते हैं।

30 अक्टूबर को हुआ था हादसा
गौरतलब है कि गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी पर बना ब्रिटिश काल का पुल 30 अक्टूबर की शाम को ढह गया था। इस हादसे में 47 बच्चों समेत 140 लोगों की मौत हो गई थी। शीर्ष अदालत इस घटना में अपने दो रिश्तेदारों को खोने वाले व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीबीआई जांच की मांग, अपने परिवार के सदस्यों को खोने वालों को सम्मानजनक मुआवजा देने और नगर पालिका के अधिकारियों के खिलाफ जिम्मेदारी तय करने की मांग की गई थी।

7 बच्चों को 37 लाख रुपए देगी सरकार
सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने कहा कि मोरबी के शाही परिवार ने सभी मृतकों के परिवार वालों को 1-1 लाख रुपए का मुआवजा दिया है। माता-पिता दोनों के निधन के चलते कुल 7 बच्चे अनाथ हुए हैं। मुख्यमंत्री राहत कोष, प्रधानमंत्री राहत कोष और निजी दानदाताओं से प्राप्त दान से प्रति बच्चे को 37 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा। इसमें अडानी फाउंडेशन की ओर से प्रति बच्चे के लिए 25 लाख रुपए का मुआवजा भी शामिल है।

Deepak Sharma
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